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हिन्दी अकादमी दिल्ली द्वारा प्रकाशित ' सत्य जीतता है ' व दैनिक जागरण द्वारा सन 2017 की सर्वश्रेष्ठ साहित्यिक पुस्तकों में शामिल "संभावना" के पश्चात यह मेरा तीसरा कविता संग्रह है । सत्य जीतता है के बाद मेरी दूसरी पुस्तक संभावना के प्रकाशन में मुझे 17 वर्ष लग गए । इस बीच लगातार पत्र पत्रिकाओं में लेखन करता रहा ।
मेरे व्यंग्य , नवभारत टाईम्स , राष्ट्रीय सहारा , हिंदुस्तान दैनिक , जागरण सखी सहित विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में आ रहे थे तो कहानियां मेरी सहेली , जागरण सखी , वनिता व दैनिक जागरण में प्रकाशित हो रही थीं । इस बीच कनाडा के मेरे मित्र श्री सुमन घई जी ने पुस्तक बाजार , कनाडा से मेरी दो पुस्तकें " गुरू गूगल दोऊ खड़े " व्यंग्य संग्रह व "क्षमा करना पार्वती" कहानी संग्रह प्रकाशित कर दिया । वस्तुत: 'सत्य जीतता है ' और फिर ' संभावना ' को जिस तरह से साहित्य जगत में सराहा गया उसने मुझे कविता के प्रति अपने नैसर्गिक लगाव से गहराई से जोड़ दिया ।कविता लिखी नहीं जाती , यह जन्म लेती है । इस पुस्तक की कवितायें पाठक को अपने जीवन व हृदय के आस पास नजर आती हैं ।
मेरा अनुभव है कि व्यंग्य व कहानियां आप लिख सकते हैं , यह दोनों विधा घटना प्रधान व परिस्थिति जन्य है , लेकिन मुझसे कविता सप्रयास नहीं लिखी जा सकी । मेरे भीतर कविता ने सदैव जन्म लिया है ।इसे मैं माँ सरस्वती की असीम अनुकंपा मानता हूँ कि वह मुझे कविता के लेखन हेतु निरंतर शब्द व प्रेरणा प्रदान करती रहती हैं ।
हाँ अंतिम बात , यह पुस्तक ई बुक के फार्म में किंडल पर आ चुकी है लेकिन आज भी प्रिंट संस्कारण की मांग पाठकों को रहती है और पोथी ने मुझे यह अवसर प्रदान कर जिस प्रकार अपने पाठकों से मुझे जुडने का अवसर प्रदान किया है , उसके लिए मैं पोथी के प्रकाशन टीम का हृदय से आभारी हूँ ।
मुरली श्रीवास्तव
शानदार राईटर की बेहतरीन बुक
वाह क्या लिखते हैं मुरली जी ,
सालों से पढ़ रहा हूँ । एक से बढ़ कर एक कवितायें , दिल छू लेती हैं ।
जब वो लिखते हैं तो लगता है आज की बात कह रहे हैं । ऐसे ही पूरी पुस्तक भीतर तक मन में बस जाती है ।
मिलने को चले,
और मिल भी लिए,
लेकिन,
कौन, किससे,
कब और कैसे,
नजर मिलाये,
यह सवाल अधूरा सा,
मिलन के बीच में हमेशा खड़ा रहा।