वाह क्या लिखते हैं मुरली जी , सालों से पढ़ रहा हूँ । एक से बढ़ कर एक कवितायें , दिल छू लेती हैं । जब वो लिखते हैं तो लगता है आज की बात कह रहे हैं । ऐसे ही पूरी पुस्तक भीतर तक मन में बस जाती है । मिलने को चले, और मिल भी लिए, लेकिन, कौन, किससे, कब और कैसे, नजर मिलाये, यह सवाल अधूरा सा, मिलन के बीच में हमेशा खड़ा रहा।
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Murli Srivastava4 years, 2 months ago Verified Buyer
शानदार राईटर की बेहतरीन बुक
वाह क्या लिखते हैं मुरली जी , सालों से पढ़ रहा हूँ । एक से बढ़ कर एक कवितायें , दिल छू लेती हैं । जब वो लिखते हैं तो लगता है आज की बात कह रहे हैं । ऐसे ही पूरी पुस्तक भीतर तक मन में बस जाती है । मिलने को चले, और मिल भी लिए, लेकिन, कौन, किससे, कब और कैसे, नजर मिलाये, यह सवाल अधूरा सा, मिलन के बीच में हमेशा खड़ा रहा।
शानदार राईटर की बेहतरीन बुक
वाह क्या लिखते हैं मुरली जी ,
सालों से पढ़ रहा हूँ । एक से बढ़ कर एक कवितायें , दिल छू लेती हैं ।
जब वो लिखते हैं तो लगता है आज की बात कह रहे हैं । ऐसे ही पूरी पुस्तक भीतर तक मन में बस जाती है ।
मिलने को चले,
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कब और कैसे,
नजर मिलाये,
यह सवाल अधूरा सा,
मिलन के बीच में हमेशा खड़ा रहा।