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यह पुस्तक मेरे लेखकीय जीवन में विशेष महत्व रखती है । मैं 25 वर्षों से लगातार लिख रहा था और नवभारत टाईम्स , राष्ट्रीय सहारा , अमर उजाला, हिंदुस्तान दैनिक सहित विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में व्यंग्य प्रकाशित हो रहे थे । रचनाएँ लोकप्रिय होती जा रही थीं , मैं सभी पत्रों के संपादक मण्डल का जितना भी धन्यवाद दूं वह कम है । चाहे वह अमर उजाला के श्री कल्लोल चक्रवर्ती हों , नव भारत टाईम्स के श्री गोविंद सिंह , बाल मुकुन्द या संजय कुन्दन लेकिन समय का फेर कि पुस्तक के रूप में मेरी कविता की पुस्तकें प्रकाशित हो रही थीं । पहली हिन्दी अकादमी दिल्ली से सत्य जीतता है और दूसरी "संभावना" । मैं व्यंग्य की पुस्तक के प्रकाशन के लिए प्रयासरत थी लेकिन यह संभव नहीं हो पा रहा था ।
संभावना को जब प्रांजल धर की लेखनी ने दैनिक जागरण में वर्ष की श्रेष्ठ...
गुरू गूगल हा हा हा क्या बात है
मजा आ गया पढ़ कर एक से एक व्यंग्य ।
मुद्दत बाद स्तरीय हास्य पढ़ने को मिला ।
किताब दिल को गुदगुदा गई । फेसबुकिया लफड़े , आफिस रस और...