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गुरू गूगल दोऊ खड़े

गुरू गूगल दोऊ खड़े

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Murli Srivastava 3 years, 7 months ago Verified Buyer

गुरू गूगल हा हा हा क्या बात है

मजा आ गया पढ़ कर एक से एक व्यंग्य ।
मुद्दत बाद स्तरीय हास्य पढ़ने को मिला ।
किताब दिल को गुदगुदा गई । फेसबुकिया लफड़े , आफिस रस और हाय रे एक छुट्टी ने हंसा हंसा के पागल कर दिया कई बार पढ़ा इन्हें मैंने ।