You can access the distribution details by navigating to My Print Books(POD) > Distribution
Also Available As
₹ 50
₹ 50
भारत या इंडिया या हिंदुस्तान आखिर है क्या ? भारत का विभाजन हुआ ही क्यों था ? और क्या यह विभाजन अंतिम था ? क्या भारत का और कोई विभाजन हो सकता है या होगा? क्या विभाजन अपरिहार्य है ? या इससे टाला जा सकता है? यह कुछ ऐसे सवाल है जो हर सच्चे भारतीय को देर- सबेर चुभते और परेशान करते रहते है | इन्ही कुछ सवालो की पड़ताल करने और भारत के एक और विभाजन की भयावह संभावनाओ पर विचार करने के लिए और इससे बचने के लिए इस किताब को लिखा गया है एक सच्चे और राष्ट्र- भक्त भारतीय का यह फर्ज है की वो देश को एक और श्रेष्ट्र रखने के लिए कार्य करे और ऐसी किसी भी संभावना को रोके |भारतीयों की आज की मनोदशा और एक रहने अथवा विभाजित होने की उतकंठा पर भी हमने रौशनी डालने की कोशिश की है | इसके अतिरिक्त एकता और विभाजन के फायदे और नुक्सान का विश्लेषण करने की भी कोशिश की गयी है|
Currently there are no reviews available for this book.
Be the first one to write a review for the book भारत एक और विभाजन की और.