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इस पुस्तक में योग के आठ अंग, षटकर्म, मुद्रायें, बंध, त्राटक, और ध्यान के बारे में दर्शाया गया है। इसमें आन्तरिक शान्ति का वर्णन और विवेचन है, योग के सभी ग्रंथो के आयोग के साथ मेरे गुरूजी द्वारा बताये गये आसन एवं मुद्राए, और ध्यान विधि को एक सुत्र में रख कर हमने इस का ग्रंथ का निर्माण किया, जिसमें योगाभ्यास को विद्धतापूर्ण ग्रंथ बनाया गया। इस पुस्तक में दर्शाये गऐ हर आसन, प्राणयाम मुद्रा, त्राटक, ध्यान एवं षट्कर्म का अभ्यास मेने मेंरे गुरूजी योगी नारायाणनाथ जी एवं भभूति गुरू योगी सोमनाथ जी के सानिध्य में रहकर अभ्यास कर हमने हर एक आसन प्राणयाम मुद्रा को चित्र द्वारा दर्शाने का प्रयास किया है। इस पुस्तक में जो दर्शाया है वह स्वयं मेंरा अनुभव है और स्वयं ने लाभ उठाकर मेंने अनेक संतो योगियो एवं साधको मार्ग दर्शन किया है। योग तथा आध्यात्मिकता ही मेरे जीवन का मुख्य लक्ष्य है एवं लगन के साथ मेने इस ग्रंथ का निर्माण किया गया है। विश्व के पुरूषो का ध्यान योग की तरह आकर्षित करना और जगत प्रपंच से बाहर निकाल कर उनको अंन्धकार से आत्मा के प्रकाश की और अग्रसर करना भी मेरा मुख्य लक्ष्य है। इस पुस्तक में स्वास्थ संबधि फायदो के बारे में वर्ण किया गया है अथवा इसमें कौन से रोग का उपचार हो सकता है एवं इन आसनो को करने से किस रोगो से बचा जा सकता है उसका भी विधिवत रूप से वर्णन किया गया है। शरीर के स्वास्थ से नैतिकता एवं आध्यात्मिक स्वास्थ प्राप्त होता है। आप भी लाभ उठाये।
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