प्रिय पाठकगण, यह काव्य संग्रह गाॅंव का संघर्ष मेरे गाॅंव के किसान ,मजदूर और समाज के बदलते स्वरूप का सजीव चित्र है। इसमें प्रकृति की सरलता भी है, गरीबों की पीड़ा भी, रिश्तों की सच्चाई भी और मनुष्य का अंतर संघर्ष भी।
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प्रिय पाठकगण, यह काव्य संग्रह गाॅंव का संघर्ष मेरे गाॅंव के किसान ,मजदूर और समाज के बदलते स्वरूप का सजीव चित्र है। इसमें प्रकृति की सरलता भी है, गरीबों की पीड़ा भी, रिश्तों की सच्चाई भी और मनुष्य का अंतर संघर्ष भी।
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प्रिय पाठकगण,
यह काव्य संग्रह गाॅंव का संघर्ष मेरे गाॅंव के किसान ,मजदूर और समाज के बदलते स्वरूप का सजीव चित्र है।
इसमें प्रकृति की सरलता भी है, गरीबों की पीड़ा भी, रिश्तों की सच्चाई भी और मनुष्य का अंतर संघर्ष भी।