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रात की ख़ामोशी में एक शांत आत्मा अपने बीते जीवन पर सोचती है — एक ऐसा जीवन जहाँ ग़ुस्सा, चुप्पी और अकेलापन उसके साथी रहे। बचपन से कॉलेज तक, वह जुड़ना चाहता है, पर खुद में ही उलझा रहता है। तभी उसकी ज़िंदगी में आती है मेहैर — उजाले और जज़्बातों से भरी हुई। वो मुलाक़ात उसके दिल की दीवारें हिला देती है। यह कहानी है अकेलेपन से दोस्ती तक के सफ़र की — एक ऐसे बदलाव की जो दिल से शुरू होता है।
एक अनुभव, सिर्फ़ एक कहानी नहीं
कुछ कहानियाँ बस पढ़ी नहीं जातीं, वो दिल में उतरती हैं — 'अनकहे लम्हों की कहानी' वैसी ही एक कृति है। रिद्धि पाठक ने जिस खूबसूरती से रिश्तों की परतें खोली हैं, वो मंच की संवेदनशीलता और सिनेमा की गहराई — दोनों का एहसास देती है। हर संवाद, हर भाव जैसे आँखों के सामने जीवंत हो उठता है। एक कलाकार के नज़रिए से कहूँ तो यह किताब एक अनुभव है। मैं दिल से चाहूँगा कि हर पाठक इसे ज़रूर पढ़े — क्योंकि कुछ कहानियाँ आपके अंदर कुछ जगा देती हैं।