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ज़ेन मास्टर अमा सामी ("गेन-उन-केन") वर्तमान में पहले भारतीय हैं जिनके प्रबोधन का सत्यापन एक मान्यता प्राप्त प्रसिद्ध ज़ेन मास्टर द्वारा किया गया। अरूल मारिया आरोकियासामी के रूप में १९३६ में जन्मे, अमा सामी नें स्कूली शिक्षा के बाद जेसुइट ऑर्डर में प्रवेश किया और एक पादरी बने। मगर मन में एक बेचैनी बनी रही। १९७२ में वे जापान गये और यमादा को-उन रोशी की निगरानी में उन्होंने ज़ेन का गहन अध्ययन किया। ८० के दशक में उन्होंने देश विदेश में ज़ेन का प्रशिक्षण देना शुरू किया। १९९६ में आपने एक ज़ेन केंद्र, बोधिजेंडो की स्थापना पेरुमलमलाई, कोडईकनाल में की, जहां आप वर्तमान में रहते हैं और शिक्षण देते हैं। आपके कई शिष्य यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और भारत में सक्रिय हैं। आपका जीवन दर्शन, अध्यात्म और सामाजिक सरोकार, दोनों को पूर्णरूपेण अंगीकार करने पर ज़ोर देता है। अपने शिष्यों के लिए आपने कई पुस्तकें लिखी हैं। यह आपकी २०२१ में, अंग्रेज़ी में स्व-लिखित जीवनी का हिन्दी अनुवाद है। समाज के निचले तबके से उठ कर, चर्च की रूढ़ियों को तोड़ कर, विदेश में एक नया दर्शन सीख कर, एक वैश्विक संघ की स्थापना करने तक का सारा दुर्दम्य संघर्ष इस जीवनी में यत्र तत्र बिखरा हुआ है, किसी सुरम्य घाटी में बिखरे छोटे छोटे फूलों की तरह, साथ ही है जीवन का अनूठा दर्शन।
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