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यन्त्र-मन्त्र-तन्त्र अंधविश्वास..!!!
साधारण भाषा में, जिसकी क्रियाविधि का हमें ज्ञान ही नहीं और उसका प्रभाव कदाचिद् हमारे समक्ष प्रकट हो जाये, तब वे लोग जिन्होने स्वयं उसको नहीं देखा, उसको महज अंधविश्वास से ज्यादा कुछ और नहीं समझेंगे ।
वर्षों पूर्व जब हवाईजहाज, बिजली, टेलीफोन आदि की बात चला करती थी तो लोग इस पर विश्वास ही नहीं किया करते थे और प्रयोग से जुड़े लोगों को पागल कहा करते थे ।
आज के युग में यन्त्र मन्त्र तन्त्र को महज ढोंग ढकोसला अंधविश्वास माना जाता है क्योंकि इनकी सिद्धि की क्रिया विधि लोगों को ज्ञात नहीं और बिना क्रिया विधि के यह जाग्रत हो जायें, यह मुमकिन नहीं ।
इसी बात का फायदा लोभी जनों ने उठाया और यन्त्र मन्त्र तन्त्र विद्या के नाम पर लोगों को लूटना आरम्भ कर दिया । जब अन्य लोगों ने लुटे हुये लोगों की स्थिति देखी तो लुटे हुये लोगों के साथ साथ स्वयं ने भी यन्त्र मन्त्र तन्त्र विद्या को अंधविश्वास घोषित कर डाला ।
स्वयं के ज्ञान को विकसित करो । यन्त्र मन्त्र तन्त्र प्राचीन काल का वह गौरवमयी विराट विज्ञान है जिसकी काट अर्वाचीन काल के विज्ञान के पास भी नहीं ।
कुछ पुराने निश्छल बुजुर्गों के पास बेशक इस विद्या के कुछ अंश मौजूद हैं मगर योग्य व्यक्तियों के अभाव में शनैः शनैः यह महान विद्या काल के गर्त में समाती जा रही है ।
आधुनिकता के नशे में लिप्त यदि कभी दैव वश पूजा पाठ आदि की आवश्यक्ता प्रतीत हो तब अपने व्यस्त पलों से कुछ क्षण निकाल कर पूजा पाठ की प्राचीनतम् विधि का अनुसरण अवश्य कर लेना । मन मर्जी पूजा पाठ के आयोजन से बेशक आज तुम्हारे मन को शान्ति मिल जाये मगर कालान्तर में तुम्हारे द्वारा किये गये मनमाने पूजा विधान से उत्पन्न विक्षोभ तुम्हारे लिये हानिकारक अवश्य सिद्ध होंगे ।
प्रस्तुत ग्रन्थ "आसमानी विद्या" में अनगिनत उन विरले मन्त्र तन्त्रादि प्रयोगों का यथार्थ रूप से वर्णन किया गया है जिनकी आवश्यक्ता जिन्दगी के हर कदम में अनिवार्य रूप से पड़ती ही है । मुझे विश्वास है गृहस्थ व्यक्तियों, साधकों एवं मन्त्र तन्त्रादि साधनाओं के प्रति रूचि रखने वालों के लिये यह ग्रन्थ अत्यन्त ही सहायक एवं पथ-प्रदर्शक सिद्ध होगा ।
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