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ईंधन या अन्न? – इथेनॉल के भ्रम और किसान का संकट

इथेनॉल के भ्रम और किसान का संकट
Amit Raj Prasad
Type: Print Book
Genre: Politics & Society, Science & Technology
Language: Hindi
Price: ₹249 + shipping
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Description

क्या इथेनॉल भारत के किसानों के लिए वरदान है या अभिशाप?
यह सवाल आज हर गाँव, हर किसान, और हर नीति-निर्माता के सामने खड़ा है।
यह पुस्तक बताती है कि जब “ईंधन” और “अन्न” के बीच सीधी टक्कर होती है, तो असली दबाव किसान, जल-स्रोतों और खाद्य-सुरक्षा पर कैसे पड़ता है।

इस पुस्तक में आप जानेंगे—
✔ इथेनॉल प्लांटों द्वारा अनाज की बढ़ती खपत का असली प्रभाव
✔ क्यों ‘धान–मक्का–गन्ना’ अचानक सबसे विवादित फसलें बन रही हैं
✔ भूजल, पर्यावरण और स्थायी खेती पर छिपे हुए खतरे
✔ किसान, पंचायत और ग्रामीण समाज को किन बातों पर सतर्क रहना चाहिए
✔ कंपनियाँ क्या छिपाती हैं और EIA में क्या नहीं बताया जाता
✔ सरकार की नीतियाँ ज़मीनी हकीकत से कैसे टकराती हैं
✔ ग्रामीण समुदाय किन 1-पेज चेकलिस्ट और शर्तों के साथ अपने अधिकार सुरक्षित कर सकते हैं

यह पुस्तक किसानों, छात्रों, शोधकर्ताओं, पंचायत प्रतिनिधियों और आम नागरिकों के लिए समान रूप से उपयोगी है—
क्योंकि यह केवल समस्या नहीं बताती, बल्कि स्पष्ट समाधान, सुरक्षा-बंधन, और ग्रामीण हितों को बचाने के व्यावहारिक तरीके भी बताती है।

लेखन का उद्देश्य किसी उद्योग का विरोध करना नहीं, बल्कि यह समझाना है कि विकास तभी टिकाऊ है जब वह जल, जमीन, किसान और भोजन-सुरक्षा को नुकसान न पहुँचाए।

यह पुस्तक उन सभी के लिए है जो देश के कृषि-भविष्य को समझना चाहते हैं, और चाहते हैं कि विकास की रफ्तार गाँव को मजबूत करे, कमज़ोर नहीं।

About the Author

अमित राज प्रसाद (कुशवाहा) एक शोधप्रिय युवा लेखक हैं, जिन्होंने ग्रामीण जीवन, कृषि, पर्यावरण और सामाजिक यथार्थ पर आधारित कई सारगर्भित रचनाएँ लिखी हैं। विज्ञान की पृष्ठभूमि (B.Sc. Chemistry Hons.) ने इनके लेखन को गहराई, तर्क और प्रमाणों से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
इथेनॉल उद्योग, किसान हित, प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा और सामाजिक न्याय जैसे विषयों पर स्पष्ट दृष्टिकोण रखने वाले अमित राज प्रसाद अपनी रचनाओं में ग्रामीण भारत की वास्तविक समस्याओं को सरल भाषा में सामने लाते हैं।
लेखक का मानना है कि—
“कलम तभी सार्थक है, जब वह समाज के वास्तविक संकटों को उजागर कर सके।”
लेखन के प्रति प्रेरणा उन्हें अपने आसपास के साधारण लेकिन संवेदनशील लोगों से मिलती है, जिनमें से एक नाम रूमा माराँडी, जिन्होंने अपनी सादगी, शांति और मानवीय मूल्य से लेखक को निरंतर प्रेरित किया है।

Book Details

ISBN: 9789354698859
Publisher: KUSHWAHA
Number of Pages: 111
Dimensions: 5.5"x8.5"
Interior Pages: B&W
Binding: Paperback (Perfect Binding)
Availability: In Stock (Print on Demand)

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