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" मयूरपंख" में गीतकार अमृत खरे के ४६ चुने हुए हिंदी गीत संग्रहीत हैं | प्रेम , सौंदर्य , रूमानियत और स्वछंदता इनके मूल तत्व हैं | इन गीतों में एक ओर जहाँ सम्मोहन है वहीँ दूसरी तरफ खतरनाक एवं विकल्परहित संघर्ष भी है ! ये गीत जीवन की सांगोपांग व्याख्या करने में समर्थ हैं | ये वह गीत हैं , जो विभिन्न धाराओं में बहे नहीं , नारों में बहके नहीं तथा बनावट से जिनका कोई सरोकार नहीं रहा | ये सहज हैं और इनका अपना एक अलग ही अमृत संसार है -- स्वाभाविक , मधुर ,मार्मिक और लयात्मक ! यही कारण है की ये दशकों से पत्र -पत्रिकाओं ,रेडियो -दूरदर्शन तथा कवि-सम्मेलनों में छाये हुए हैं |
" मयूरपंख" के गीत निस्संदेह पाठकों - श्रोताओं को गुनने -गुनगुनाने को विवश करने में सक्षम हैं !
Re: MAYURPANKH
Binding of life and its various shades to words so beautiful yet not wrapped in any unreal covers and deep yet so uncomplicated is an art that is possible through...