You can access the distribution details by navigating to My Print Books(POD) > Distribution
मानव हमेशा जो उसके पास श्रेष्ठ है उसकी कद्र नहीं करता जिसकी उसके पास कमी है उसकी चिंता करता है।
अगर मुंह में 32 दांत होते है और अगर उसमे से कोई एक टूट जाए तो जीव हमेशा उस टूटे दांत को ही ढूंढता है। ठीक उसी परकार हमारे अंदर जो कमी है हम उसको ढूंढते है।
तो जरूरी है की हम अपने मन पर काबू रखे और अपने अंदर श्रेष्ठ और कमी को एक ही भाव से देखे।
Currently there are no reviews available for this book.
Be the first one to write a review for the book चरित्र.