Ratings & Reviews

Prem Ki Parchhaiyan ( प्रेम की परछाइयाँ )

Prem Ki Parchhaiyan ( प्रेम की परछाइयाँ )

(5.00 out of 5)

Review This Book

Write your thoughts about this book.

3 Customer Reviews

Showing 3 out of 3
Manju rani 8 months ago

Heartfelt and profound

दिल को छू जाने वाली कविताओं का संग्रह
“प्रेम की परछाइयाँ” पढ़ना ऐसा अनुभव था मानो किसी ने मेरे मन की गहराइयों को शब्दों में पिरो दिया हो। हर कविता में भावनाओं की सच्चाई है, और प्रेम का वो स्वरूप जिसे अक्सर हम महसूस तो करते हैं, पर कह नहीं पाते। दिल से दीपेश की लेखनी सच में दिल तक पहुँचती है। Highly recommended!

Rahul Kulkarni 8 months, 1 week ago

संवेदनाओं की अनुगूंज

प्रेम एक अनुभव है—अनंत, गूढ़, और संवेदनाओं से परिपूर्ण। दीपेश कुमार जैन की काव्य संग्रह _प्रेम की परछाइयाँ_ इसी गूढ़ता को अभिव्यक्त करने का प्रयास करती है। यह संग्रह प्रेम के विभिन्न आयामों को सिर्फ प्रस्तुत नहीं करता, बल्कि पाठक को भावनाओं की एक अंतहीन यात्रा पर ले जाता है।

इस संग्रह की सबसे अनोखी विशेषता यह है कि कुछ कविताएँ प्रेयसी के दृष्टिकोण से लिखी गई हैं। प्रेम को अक्सर प्रेमी की भावनाओं से देखा जाता है, परंतु जब दृष्टिकोण बदलता है, तो प्रेम की संवेदनाएँ और गहराइयाँ एक नए रूप में सामने आती हैं। यह संग्रह प्रेम को पारंपरिक सीमाओं से परे ले जाता है और उसे एक व्यापक भावनात्मक अनुभव में परिवर्तित करता है।

कविताओं की भाषा सहज होते हुए भी प्रभावशाली है—शब्द न केवल भावनाओं का चित्रण करते हैं, बल्कि पाठक के अंतर्मन में गहरी छाप छोड़ते हैं। यह पुस्तक सिर्फ कविताओं का संकलन नहीं, बल्कि प्रेम की सच्ची अनुभूति की खोज का एक माध्यम है। प्रत्येक कविता मानो पाठक को स्वयं से जोड़ती है, उसकी भावनाओं को प्रतिबिंबित करती है और प्रेम की उन गहराइयों तक पहुँचने का अवसर देती है !

Alka@16 8 months, 1 week ago

Title is perfect for the emotions involved in the poetry.

I am enamored with the anthology of love poems in this book.
Writer has tried his best to vent out his all beautiful emotions through poem.
All the best to the Writer for his maiden publish of an anthology