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जिन्दगी चलते रहने का नाम हैं। ज़िंदगी शांत नदी की तरह चलती रहती तो शायद जीने की उमंग ही खत्म हो जाती लेकिन ज़िंदगी तो पथरीले रास्तों पर चलने का नाम है। जैसे सुबह सूरज उगता है, इसलिए सुबह होती है। सूरज छिप जाता है अतः रात होती है। यह सिर्फ एक प्रक्रिया है उसी प्रकार जिन्दगी नदी की भाँति अनवरत बहती रहती है। हमारे जीवन में बहुत से लोग मिलते है बिछुड़ते हैं। बहार और पतझड़ प्रकृति के नियम हैं। खुशी और गम जीवन की प्रकृति है।
इस संग्रह में सभी कहानियाँ हमारे आस-पास में घटित घटनाएँ हैं। ये सभी कहानियाँ आपको आप से ही जोड़ेंगी, ऐसा हमें विश्वास है। आपको स्वयं से जोड़ने के लिए और खुद को इन कहानियों से जोड़े रखने के लिए आपके कर-कमलों में आपके विचारों को जानने हेतु सौंप रहे हैं कहानी संग्रह ‘अधूरे प्यार की कसक’।
उषा शर्मा ‘प्रिया’
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