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पृथ्वी तनया

पृथ्वी तनया

(5.00 out of 5)

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4 Customer Reviews

Showing 4 out of 4
Durga879 2 years, 6 months ago

Amazing

Very good written, narrated the story amazingly. Pls keep up the writing.

Reena Shrivastava 2 years, 7 months ago

अति उत्तम विवेचन

श्रीमती ओमलता जी ने सीता जी की मनस्थिति का जो मार्मिक विवरण किया है, वह किसी भी स्त्री को क्या, एक साधारण मनुष्य को भी उद्वेलित कर सकता है। अपने सधे और संतुलित शब्दों के उत्तम चयन के द्वारा वह सीता जी की भावना को उकेरने में पूर्णतः सफल हुई हैं। भावनाओं का प्रवाह और मन मस्तिष्क को झकझोर देने वाली यह कविता आज भी प्रासंगिक लगती है। ओमलता जी को कोटि कोटि नमन जिनकी लेखनी इतनी प्रखर और विचार इतने प्रबुद्ध हैं। सादर अभिवादन।

Omlata Akhouri 2 years, 7 months ago Verified Buyer

Thought Provoking

ओमलता जी ने इस कविता में सीता जी की मन:स्थिति का बहुत मर्मस्पर्शी चित्रण किया है. आज के समय में भी यह घटना उतनी ही प्रासंगिक है.
कविता मन में अनेक प्रश्न खड़े करती है. बहुत ही अच्छा लेखन

rakhouri 2 years, 7 months ago

Marvellous and beautiful!

Very beautifully depicted the mental state and emotions of Mother Sita !! Read many times and each time I am mesmerised with the selection of appropriate words and binding of thoughts !! Must read !!