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₹ 250
बिन बच्चों के हर उत्सव में
खाली लगता है प्याला
नशा नहीं दे पाती कुछ भी
दूजी और कोई हाला
समाचार गर मिल जाता है
पापा हम आने वाले हैं
रंग रंगीला उत्सव होता
खिल जाती है मधुशाला
‘‘बच्चों की मधुशाला’’ बच्चों की गतिविधियों पर लिखी गई एक काव्य माला है ।
‘‘हर पल मस्ती में जीता है, केवल बचपन का प्याला’’ यह इसका आधार है ।
बहु आयामी रंगों से रंगी इस काव्य माला में बच्चों की मस्तियों का चित्रण कुछ इस तरह है - ‘‘बिन पायल के रूनझुन होती, ठुमक ठुमक जब चलता है’’ या ‘‘मस्ती में चलता है ऐसे, से पी ली हो हाला’’ ।
मां के महत्व को ऊँचाइयां कुछ इस तरह दी गई हैं - ‘‘दुनिया निर्जन हो जाती, गर माँ ये पीड़ा ना सहती’’ ।
बच्चों के समुचित विकास के लिए कुछ, प्यारे-प्यारे सुझाव हैं - ‘‘ अधिकार सभी को खुश रहकर, दुनियां में...
एक लम्बे अर्से बाद, हिन्दी साहित्य में, इतना प्रभावशाली काव्य पढ़ने मिला । मंत्र मुग्ध करने वाली रूबाईयों से सजी, इस काव्य-माला की कोई न कोई रूबाई हर पाठक के...
Re: बच्चों की मधुशाला (e-book)
I have read this book and have enjoyed reading it...
This book contains an interesting poetry based on childhood which is the best phase of everyone's life.It tells us about the...