एक लम्बे अर्से बाद, हिन्दी साहित्य में, इतना प्रभावशाली काव्य पढ़ने मिला । मंत्र मुग्ध करने वाली रूबाईयों से सजी, इस काव्य-माला की कोई न कोई रूबाई हर पाठक के जीवन को स्पर्श करेगी । ‘‘बच्चों की मधुशाला’’ हर उस इन्सान को पसन्द आएगी जो बचपन से प्यार करता है, बच्चों से प्यार करता है, बच्चों की कामना करता है, नाती-पोतों की कामना करता है। इस काव्य-माला में किसी अच्छे जासूसी उपन्यास की तरह, शुरू से अन्त तक बांधे रखने की क्षमता है । आसान शब्दों में, बहुत सरल, गहरे अर्थो में डूबी, मन को छू लेने वाली रूबाईयां, सुखद एहसास कराती हैं । तेजी से फैल रहे अंग्रेजी के दायरे में, हिन्दी साहित्य के दबदबे को बनाए रखने, इस तरह के सरल और मनोरंजक साहित्य की अत्याधिक आवश्यकता है ।
-- डॉ मधुसूदन राय
Re: बच्चों की मधुशाला (e-book)
I have read this book and have enjoyed reading it...
This book contains an interesting poetry based on childhood which is the best phase of everyone's life.It tells us about the realistic facts on how every member of the family eagerly waits for the new born to come in to the family.It tells us how the child is loved,cared and brought up in the family.This book relates in one or the other way with our lives.Its content is very effective, factual,redoubtable,inspiring and astounding.
sameer vyas