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ग्राम्यजीवनक सत्यक संवाहक : अर्द्धांगिनी
श्री जगदीश प्रसाद मण्डल बहुआयामी रचनाकारक रूपमे मैथिली जगतमे प्रसिद्ध छथि। कथा-कविता-नाटक-उपन्यासादि विधाकेँ ई अपन स्वर्णलेखनीसँ सजबैत रहला अछि। हिनक समस्त रचना हिनका मिथिला-मैथिलक लोकजीवनक प्रत्यक्षदर्शी ओ व्याख्याताक रूपमे प्रस्तुत करैत रहलनि अछि। लोकजीवनक यथार्थकेँ यथावत् चित्रित कऽ मानवीय संवेदनाकेँ उद्बुद्ध करब हिनक रचना सबहक प्रधान विशष्टता रहलनि अछि। प्रतिभा, व्युत्पत्ति ओ अभ्यास एहि तीनू कारकसँ सम्बलित हिनक रचनावलीमे मिथिला-मैथिलक समस्या ओ तेकर समाधानक दिशा भेटैत अछि। वर्त्तमान जीवनमे होइत नित्य नूतन परिवर्त्तनक खण्ड चित्रकेँ यथावत् प्रस्तुत करब हिनक कथाक विषय-वस्तु रहलनि अछि जेकरा ई सहज रीतियें प्रस्तुत करैत रहल छथि।
मण्डलजीक कथा सभ मिथिलाक माटि-पानिक कथा छी। हिनक कथा सभमे मिथिलाक ग्राम्य जीवनक आशा-निराशा, सुख-दु:ख, हर्ष-उल्लास आ जीवन-संघर्षक व्याख्या भेटैत अछि। मिथिलाक सामाजिक-आर्थिक ओ राजनीतिक जीवनमे होइत परिवर्त्तन सभकेँ सूक्ष्म मनोवैज्ञानिक विश्लेषण द्वारा ई अपन कथा सभकेँ प्रवाहमयता, रोचकता ओ विश्वसनीयताक संग प्रस्तुत करबामे सिद्धहस्त कलाकारक रूपमे प्रतिष्ठित भेला अछि।
हिनक कथासंग्रह अर्द्धांगिनी बीस...
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