You can access the distribution details by navigating to My pre-printed books > Distribution
मनमनियाँ
अपने लोकनिक बीच बीहैन-कथाक छोट-छीन संग्रह उपस्थित अछि। प्रस्तुत संग्रह एक-लगाइत नहि, डेढ़-दू सालक बीच लिखल छी, जइमे मौलिक कथाक संग विश्व भरिक साहित्यक सार संक्षेप नेना आ बढ़ैत नेना सभ-ले जुटौल गेल अछि, सबहक प्रति आभार जइसँ रंग-बिरंगक विषय-वस्तुक ई जमघट भऽ गेल अछि।
आजुक भाग-दौड़क जिनगीमे दीर्घ कथा पढ़ैक पलखति नइ रहने लघु तथा बीहैन कथाक महत स्वत: बढ़ि गेल अछि।
कथा-लेखनमे श्रीनिवासजी (डॉ. शिवशंकर श्रीनिवास, लोहना)क सहयोगक चर्च करब केना बिसैर सकै छिऐन।
समय-समयपर गजेन्द्रजी (श्री गजेन्द्र ठाकुर, मेंहथ)क आग्रह आ सुझाव आ संगहि श्रुति प्रकाशनक श्री नागेन्द्र कुमार झा आ श्रीमती नीतू कुमारीक भरपुर सहयोग भेटलासँ लिखैक नव उत्साहो आ अशो मनकेँ सक्कत बना देने अछि।
ऐ पोथीक नाओं ‘तरेगन’ श्री धीरेन्द्र कुमारजी (निर्मली)क देल अछि।
अन्तमे, कथा-प्रेमी सभसँ आग्रह जे अपन अमूल्य सुझावसँ अवगैत करा आगू-ले उत्साहित करब।
-जगदीश प्रसाद मण्डल
बाल दिवस, 14 नवम्बर 2009
Currently there are no reviews available for this book.
Be the first one to write a review for the book तरेगन.