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₹ 400
The book gives a complete picture of my journey of life and includes memories, experiences and happenings covering different aspects of my life and environments around it.The book inspires to live a happy and satisfied life despite odds and evens that everybody encounters during the long journey of life.
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शेफालिकाजीक कलम सँ:-
रवींद्रजीक आत्मकथा ‘भोर सँ साँझ धरि’ अपना आपमे विलक्षण अछि । माँ सँ आरंम्भ भेल, माँ पर ख़तम भेल। जीवनमे अनेको संबंध रहितो, खास कय पत्नी एहेन सहयात्रिणी रहितो, मॉक महत्वकें अपन आत्म कथाक अपन आत्माक कथा सँ समर्पण अद्भुत।
आत्म कथा मात्र जीवनी ने होइत छैक, आत्माक कथा होइत छैक। जीवनक संग संग आत्माक अनुभूति, ओकर रसास्वादन पाठक करैत स्वयं ओहि घटनाक्रममे समा जायत छैथ, ताहि अनुरूप सजग पाठक अपन आत्मविश्लेषण सेहो करैत छथि। मैथिली साहित्यक आत्मकथाक इतिहास मे ` भोर सँ साँझ धरि’ अपन एकटा विशिष्ट स्थान राखत। . . मुदा, एखन साँझ मात्र भेल अछि , राति...
Re: भोरसँ साँझ धरि (eBook)
भोर सँ सॉंझ धरिक यात्रा एखने सम्पन्न भेल !
सरल-सहज, भावपूर्ण-प्रवाहपूर्ण, स्वर्णिम वाल्य-
काल सँ प्रारम्भ भेल जीवन-यात्राक अविरल धार
कखनहुँ अाद्योपान्त विरामक अवसर नहिं देलक ।
आत्माभिव्यक्तिक माध्यम सँ अपनेक अन्तस् मे
प्रच्छन्न लेखन-कलाक...