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(1 Review)

भोरसँ साँझ धरि (eBook)

आत्मकथा
Type: e-book
Genre: Biographies & Memoirs
Language: Maithili
Price: ₹50
(Immediate Access on Full Payment)
Available Formats: PDF

Also Available As

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Description

The book gives a complete picture of my journey of life and includes memories, experiences and happenings covering different aspects of my life and environments around it.The book inspires to live a happy and satisfied life despite odds and evens that everybody encounters during the long journey of life.
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शेफालिकाजीक कलम सँ:-
रवींद्रजीक आत्मकथा ‘भोर सँ साँझ धरि’ अपना आपमे विलक्षण अछि । माँ सँ आरंम्भ भेल, माँ पर ख़तम भेल। जीवनमे अनेको संबंध रहितो, खास कय पत्नी एहेन सहयात्रिणी रहितो, मॉक महत्वकें अपन आत्म कथाक अपन आत्माक कथा सँ समर्पण अद्भुत।
आत्म कथा मात्र जीवनी ने होइत छैक, आत्माक कथा होइत छैक। जीवनक संग संग आत्माक अनुभूति, ओकर रसास्वादन पाठक करैत स्वयं ओहि घटनाक्रममे समा जायत छैथ, ताहि अनुरूप सजग पाठक अपन आत्मविश्लेषण सेहो करैत छथि। मैथिली साहित्यक आत्मकथाक इतिहास मे ` भोर सँ साँझ धरि’ अपन एकटा विशिष्ट स्थान राखत। . . मुदा, एखन साँझ मात्र भेल अछि , राति आ पुनः भोर । रबीन्द्र नारायण मिश्र सँ आग्रह जे आत्मकथाक एहि कड़ी के आगू बढ़वैत रहैथ । . . नित नित नव नव संदेश अपन जीवनक माध्यमसँ लोक के अवलोकनार्थ दैत , ज्ञान वर्धन करैत रहथि। ... अशेष साधुवादक संगे।
डॉ शेफालिका वर्मा ----------------
-----------------------------------------Comments of Shrimati Nivedita Jha,renowned Hindi and Maithili poet:
आय हमरा हाथ में श्री रविन्द्र नारायण मिश्रजी के संस्मराणत्मक पोथी " भोर सँ सांझ धरि "अयछ । पोथी पढला क उपरांत एक टा अनुभूति जन्य भावना जे भेल तकरा अनुसार हम उत्साहित छी कि श्री रविन्द्रजी ( जज साहेब ) में गद्य लेखक व कवित्व के प्रखर प्रतिभा उपस्थित छैन । संस्मरणात्मक पोथी लिखब कथा व कविता लिखब जेकां सोझ कार्य नय होय थिक । अहि लेखन में भावना उमडि के राह के बाधित करैत हेतैन जेना हमरा लागल ।

रविन्द्र जी संवेदनशील व्यक्तित्व छैथ तहि दुआरे अपन लेखनी के माय के ममता के दिस पहिने लऽ के विदा भेलखिन । " कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति " संसार अहि पर टिकल छै आरू इ पोथी ,जहि में हुनकर माय से जुडल बहुत रास संस्मरण छै ,उत्कृष्ट  लेखन वा लेखनी समक्ष अयछ ,जे हुनकर प्रतिष्ठित पद पर रहला के सेहो प्रतिबिंब देखबैत छै .
      मनुष्य एकटा यात्रा में आवैत छै जिनगी के रूप में ,जहि में बहुत पडाव के रूप में चलैत बढैत ओ अपन गंतव्य के दिस बढैत जाऐछै , मुदा माय के प्रभाव ओकर व्यक्तित्व पर सर्वदा संस्कार के रूप में देखाय पडैत रहै छै । माँ जहि से दुनिया जहि से मनुष्य के जीवन उत्थान होयछै ,ओहि माँ के संस्मरण में पोथी लिख के वड पुनीत कार्य केलैथ मिश्रजी । पोथी में बचपन सँ पयग भेला के वादो लेखक अपन माय के डोर सँ जुडल छथिन ,जखन कि आय कायल सबसे कम समय लोग अपना बूढ माय बाप के देयछै । इ वाक्य कनि हताश भऽ लिख रहल छी कि ' मिथिला में आय सबसे बेसी अगर कियो असगरे के कष्ट से गुजैर रहल अयछ तऽ ओ वृद्धक हाँज छैथ । किया तऽ बाहैर एला के बाद लोग अपन परिवार कऽ तऽ ल आनैय य शहर मुदा छोडि आवय य गाम में बाट ताकैत गाम में ओसार पर बाबु , अँगना में माय । लेखक के स्नेह परिवार के प्रति हुनकर जिनगी के सबसे नीक बिंदु छयन । 
नवका पोखरि के संदर्भ में जेना मिश्रजी लिखैत छथिन कि " स्त्रीगण कहथिन कि " हर हर महादेव
जानह हे महादेव " कतेक विश्वास ईश्वर के प्रति अनादि काल से स्त्रीलोक में होयत छै ,माँ धर्मपारयण रहथिन हुनकर ....
    एकटा श्लोक मोन से जोडि देलक अहि संस्मरण के पढि 
वालो हम जगदानंद ,नमो बाला सरस्वती
अपूर्णे पंचमें बरखे वर्णयामि जगत्रयम ' 
अयाची मिश्र के पुत्र जखन शंकर राजा के हरा देलखिन जखन कहैत छथिन की हम छोट छी हमर सरस्वती नय छोट छथिन । हमरो बाबु हमरा सबके बचपन में अहि मंत्र से शुरूआत करेलखिन । 
पोथी पढि के पाठक अपन मोन से जोडि के समझे अहि से नीक आरू कि ? कखनो नोर तअ कखनो मुस्का जायैत छलौं एहि पोथी के पढैत काल ।
एहि संस्मरण के हर पंक्ति मैथिली साहित्य भंडार में महत्वपूर्ण माणिक्य सिद्ध होयत ,साहित्य अनुरागी प्रबुद्ध समाज केएकर कथ्य शिल्प ओ वर्णनशैली आकृष्टक करत से विश्वाससहजहि मोन में होइत अछि । शुभकामना संग में सेहो दय छियैन 

निवेदिता झा
रोहिणी दिल्ली 
9811783898

About the Author

लेखक परिचयः

नाम : रबीन्द्र नारायण मिश्र
पिताक नाम : स्वर्गीय सूर्य नारायण मिश्र
माताक नाम : स्वर्गीया दयाकाशी देवी
बएस : ६८वर्ष
पैतृक ग्राम : अड़ेर डीह
मातृक : सिन्घिआ ड्योढ़ी
वृति : भारत सरकारक उप सचिव (सेवा निवृत्त)/
स्पेशल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट, दिल्ली(सेवा निवृत्त)
शिक्षा : चन्द्रधारी मिथिला महाविद्यालयसँ बी.एस-सी. भौतिकी विज्ञानमे प्रतिष्ठा : दिल्ली विश्वविद्यालयसँ विधि स्नातक
प्रकाशित कृति :
मैथिलीमे:-
१. ‘भोरसँ साँझ धरि’ (आत्म कथा), २. ‘प्रसंगवश’ (निवंध), ३. ‘स्वर्ग एतहि अछि’ (यात्रा प्रसंग), ४. ‘फसाद’ (कथा संग्रह) ५. `नमस्तस्यै’ (उपन्यास) ६. विविध प्रसंग (निवंध ) ७.महराज(उपन्यास) ८.लजकोटर(उपन्यास)९.सीमाक ओहि पार(उपन्यास)१०.समाधान(निवंध संग्रह) ११.मातृभूमि(उपन्यास) १२.स्वप्नलोक(उपन्यास) १३.शंखनाद(उपन्यास) १४.इएह थिक जीवन(संस्मरण) १५.ढहैत देबाल(उपन्यास) १६.पाथेय(संस्मरण) १७. हम आबि रहल छी(उपन्यास)

In English:-
1.The Lost House (Collection of short stories)
2.Life is an art

हिन्दी में –

१.न्याय की गुहार(उपन्यास)

(उपरोक्त पोथीसभ pothi.com, amazon.com आओर www.flipcart.com पर सँ कीनल जा सकैत अछि)
इमेल : mishrarn@gmail.com
ब्लोग : mishrarn.blogspot.com
Phone: Mobile -9968502767
एमजोनक लेखक पृष्ठ : amazon.com/author/rnmishra

Book Details

ISBN: 9789352882052
Publisher: Self published
Number of Pages: 217
Availability: Available for Download (e-book)

Ratings & Reviews

भोरसँ साँझ धरि

भोरसँ साँझ धरि

(5.00 out of 5)

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1 Customer Review

Showing 1 out of 1
mishrarn 7 years, 2 months ago Verified Buyer

Re: भोरसँ साँझ धरि (eBook)

भोर सँ सॉंझ धरिक यात्रा एखने सम्पन्न भेल !

सरल-सहज, भावपूर्ण-प्रवाहपूर्ण, स्वर्णिम वाल्य-

काल सँ प्रारम्भ भेल जीवन-यात्राक अविरल धार

कखनहुँ अाद्योपान्त विरामक अवसर नहिं देलक ।

आत्माभिव्यक्तिक माध्यम सँ अपनेक अन्तस् मे

प्रच्छन्न लेखन-कलाक उद्घाटन अत्यन्त रोचक आ

हृदयस्पर्शी लागल । कृतित्व मे अपनेक व्यक्तित्व

सेहो अपन स्वाभाविक सम्पूर्णता मे प्रतिबिम्बित

भेल अछि, जाहि सँ पुस्तक आद्योपान्त प्राणवान,

रोचक आ लोकप्रियताक सर्वगुण-सम्पन्न लागल.




हमर हार्दिक प्रेमाभिवादनक संग अनेकानेक

शुभकामना ! लेखन के आयाम मे आओरो अनेकानेक विधाक जन्म अपनेक अन्तस् मे

होइत रहय आ सृजनात्मक जीवन-शैलीक

आनन्द भेटैत रहय !




बहुत-बहुत धन्यवाद !

श्रीनारायण.

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