एक बेहतरीन पुस्तक इसको पढ़कर नए तथ्यों की जानकारी हुई । इस बात की कल्पना भी नहीं की जा सकती कि लाल किले में रहने वाले मुगल बादशाह ऐसे भी थे जो अपने बच्चों को दो वक्त का खाना भी नहीं दे पाते थे और जिनके पास पहनने के लिए दूसरा कोर्ट भी नहीं था । शाह आलम साहनी की आंखें तो उसी के मीर बक्शी गुलाम कादिर ने निकालते हुए उसकी बेदनाथ पर वह अत्याचार किए जिसकी आज कल्पना भी नहीं की जा सकती ।
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एक बेहतरीन पुस्तक इसको पढ़कर नए तथ्यों की जानकारी हुई
एक बेहतरीन पुस्तक इसको पढ़कर नए तथ्यों की जानकारी हुई । इस बात की कल्पना भी नहीं की जा सकती कि लाल किले में रहने वाले मुगल बादशाह ऐसे भी थे जो अपने बच्चों को दो वक्त का खाना भी नहीं दे पाते थे और जिनके पास पहनने के लिए दूसरा कोर्ट भी नहीं था । शाह आलम साहनी की आंखें तो उसी के मीर बक्शी गुलाम कादिर ने निकालते हुए उसकी बेदनाथ पर वह अत्याचार किए जिसकी आज कल्पना भी नहीं की जा सकती ।