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कहानी से—
“हमारे इलाके में बीते डेढ़ महीने में तीन हत्याएं हुई हैं। पहली हत्या इसी नूतनपुर में हुई; मारे गये व्यक्ति का नाम श्यामाकान्त बक्शी था, उसका पेशा था सूद पर रुपये लगाना। दूसरी हत्या पड़ोसी गाँव नन्दनपुर में हुई; मृत व्यक्ति एक मारवाड़ी था, उसका भी पेशा रुपये का लेन-देन था। तीसरी हत्या मृगांकबाबू की हुई।”
“लेकिन इसमें विचित्र तो कुछ नजर नहीं आ रहा!”
“तो सुनिए। पहली बात— तीनों व्यक्तियों को गला दबाकर मारा गया है। दूसरी बात— तीनों बार हत्यारा काम निपटाकर भागने में सफल रहा है। तीसरी बात— तीनों हत्याओं के एक दिन पहले एक-एक करके व्यक्ति लापता हुए हैं!”
जयन्त उत्तेजित भाव के साथ कुर्सी से उठ खड़ा हुआ, “इसका मतलब?”
“पहली हत्या के एक दिन पहले से ही नूतनपुर की मलिन बस्ती से एक व्यक्ति की कोई खोज-खबर नहीं मिल रही है। दूसरी हत्या के एक दिन पहले यहाँ का एक ग्वाला लापता हुआ था, अभी तक उसका पता नहीं चल पाया है। मृगांकबाबू की जिस दिन हत्या हुई, उसके एक दिन पहले श्मशान से एक सन्न्यासी लापता हुआ— यह बात तो आप लोग भी जानते हैं।”
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