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प्रारम्भिक सत्य - अन्तिम दृष्टि (eBook)

Type: e-book
Genre: Social Science, Self-Improvement
Language: Hindi
Price: ₹200
(Immediate Access on Full Payment)
Available Formats: PDF

Description

विषय- सूची
प्रारम्भ के पहले दिव्य-दृष्टि
विश्व या जगत्
ब्रह्माण्ड या व्यापार केन्द्र : एक अनन्त व्यापार क्षेत्र
ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति
ब्लैक होल और आत्मा
सौर मण्डल
पृथ्वी

भाग-1 : सत्य- व्याख्या

पुस्तक का मुख-पृष्ठ : श्याम (काला)-श्वेत (सफेद) क्यों?
व्यवस्था के परिवर्तन या सत्यीकरण का पहला प्रारूप और उसकी कार्य विधि
शिक्षा, शिक्षक और शिक्षार्थी
शिक्षण विधि और आशीर्वाद
मानव और पूर्ण मानव
भारतीय शास्त्रों की एक वाक्य में शिक्षा
शास्त्रार्थ, शास्त्र पर होता है, शास्त्राकार से और पर नहीं
ईश्वर, अवतार और मानव की शक्ति सीमा
मिले सुर मेरा तुम्हारा, तो सुर बने हमारा

भाग-2 : सत्य-अर्थ
01. सम्बन्ध का सत्य आधार
02. सिर्फ ज्ञानी होना कालानुसार अयोग्यता ही नही सृष्टि में बाधक भी
03. निर्माण के मार्ग और पूर्वी तथा पश्चिमी देशों के स्वभाव
04. मैं भविष्य या तू भूत? और वर्तमान का सत्य अर्थ
05. आस्था या मूर्खता ? और आस्था का सत्य अर्थ
06. ”निर्माण और उत्पादन“ भावना की उपयोगिता
07. विद्रोही या सार्वजनिक प्रमाणित कृष्णकला समाहित विश्वमानव कला
08. भारत और संयुक्त राष्ट्र संघ को आह्वान
09. ईश्वर, देवता और विज्ञान
10. पहले संविधान या मनुष्य?
11. नया, पुराना और वर्तमान
12. मुझे (आत्मा) को प्राप्त करने का मार्ग
13. प्राथमिकता किसकी- चरित्र की या सार्वभौम सत्य-सिद्धान्त की?
14. व्यक्त होने का कारण और व्यक्त होने में कष्ट
15. कालजयी, जीवन और व्यर्थ साहित्य
16. भाग्य और कर्म
17. सफलता की सरल और कालानुसार विधि
18. ध्यान अभ्यास की कालानुसार विधि
19. अवतार, महापुरूष और साधारण मानव
20. मनुष्य जीवन के प्रकार
21. गुरू के प्रकार
22. व्यक्तिवाद और मानवतावाद
23. विश्वरूप एवं दिव्यरूप
24. ऋषि और ऋषि परम्परा
25. ”बहुत पहुँचे हुये हैं“, ”दर्शन“ और ”आशीर्वाद“
26. जीवन जीने की विधि
27. आशीर्वाद
28. इच्छा और आकड़ा

भाग-3 : सत्य-मार्गदर्शन
सत्य-मार्गदर्शन

About the Author

कल्कि महाअवतार के रूप में स्वयं को प्रकट करते श्री लव कुश सिंह “विश्वमानव” द्वारा प्रकटीकृत ज्ञान-कर्मज्ञान न तो किसी के मार्गदर्शन से है और न ही शैक्षिक विषय के रूप में उनका विषय रहा है। न तो वे किसी पद पर कभी सेवारत रहे, न ही किसी राजनीतिक-धार्मिक संस्था के सदस्य रहे। एक नागरिक का अपने विश्व-राष्ट्र के प्रति कत्र्तव्य के वे सर्वोच्च उदाहरण हैं। साथ ही राष्ट्रीय बौद्धिक क्षमता के प्रतीक हैं।

Book Details

Publisher: lava kush singh
Number of Pages: 132
Availability: Available for Download (e-book)

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प्रारम्भिक सत्य - अन्तिम दृष्टि

प्रारम्भिक सत्य - अन्तिम दृष्टि

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