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यह पुस्तक धर्म को एक नए और तार्किक दृष्टिकोण से देखने का प्रयास करती है। इसमें धार्मिक ग्रंथों जैसे रामायण और महाभारत की कहानियों को पारंपरिक धार्मिक मान्यताओं से परे जाकर, एक नैतिक शिक्षा और जीवन जीने की शैली के रूप में प्रस्तुत किया गया है। लेखक का उद्देश्य न तो ईश्वर के अस्तित्व को प्रमाणित करना है और न ही उसे नकारना, बल्कि धर्म को एक सामाजिक संरचना और मानवता के मार्गदर्शक के रूप में समझना है।
पुस्तक में प्रमुख विषय:
✔ धर्म की मूलभूत अवधारणा – धर्म केवल आस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज को संगठित और संतुलित बनाए रखने का साधन है।
✔ अंधविश्वास और पाप का भय – कैसे धर्म के मूल संदेश को छोड़कर उसमें ऐसे तत्व जोड़ दिए गए, जिन्होंने इसे तर्कसंगत दृष्टि से समझने की बजाय केवल आस्था का विषय बना दिया।
✔ भगवान का स्वरूप और उसका उद्देश्य – क्या भगवान की...
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