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इस पुस्तक को लिखने का उद्देश्य हमारे प्यारे राष्ट्र भारत में एक ऐसी शिक्षा नीति की नींव रखना है जिसमें शिक्षित छात्र सर्वांगीण विकास के लक्ष्य को प्राप्त कर सकें।
नए भारत की शिक्षा नीति ऐसी होनी चाहिए जिसमें रोजगार, संस्कार, नैतिकता, सामाजिक, सांस्कृतिक, राष्ट्रीय, जीवन उपयोगी शिक्षा, वैश्वीकरण, प्रकृति कल्याण पर विशेष बल दिया जाए जिसमें प्रयोग (प्रैक्टिकल) की अधिकता, रिसर्च (शोध) की हर छात्र तक पहुँच हो तथा हर छात्र को कौशल से जोड़ा जाए।
जिसमें वर्तमान शिक्षा नीति की समस्त विसंगतियों को दूर किया जाए। जिसमें एक छात्र को बोझिल व तनाव ग्रस्त ना करके उसके समय तथा धन की बर्बादी न कराकर उसकी प्रतिभा को, उसके खुद के जीवन, परिवार, समाज, राष्ट्र, विश्व, प्रकृति और मानवता के लिए प्रयोग कराया जाए।
परिपूर्ण शिक्षा सिर्फ छात्रों के लिए ही नहीं बल्कि वयस्क, युवा, स्त्री, वृद्ध ,किशोर हर आयु वर्ग के लोगों के लिए होगी। इसमें सन्तान की परवरिश, घरेलू शिक्षा, सामाजिक शिक्षा, नौकरी या पद पर नैतिकता का प्रशिक्षण, नागरिकता प्रशिक्षण आदि शामिल होगा जो पूरे समाज को शिक्षण और प्रशिक्षण से परिपूर्ण करके बेहतरीन समाज और राष्ट्र का निर्माण करेगा।
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