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किस्मत दो जगह लिखी होती है, एक हाथ की लकीरों में दूसरे माथे पर। इसके पीछे छिपे तर्क को जानने का प्रयास शायद किसी ने नहीं किया किया। इसका सीधा-सा तात्पर्य है। आपका माथा और हाथ दोनों ही आपकी किस्मत को बनाने और बिगाड़ने वाले हैं। आप माथे अर्थात मस्तिष्क से सोचें, योजनाएँ बनाएं, उन्हें पूरा करने के लिए विश्वास जगाएं, उन्हें प्राप्त करने की दृढ़ इच्छाशक्ति जगाओ हाथों से अपनी सोच एवं योजनाओं पर अमल करने का प्रयास करें। फिर देखों आपका भाग्य कैसे नहीं बदलता। यही है सफलता का मूलमंत्र, इसी मंत्र को ध्यान में रखकर पुस्तक के लेखक राकेश कुमार ने पुस्तक का लेखन किया है। अक्सर देखा जाता है कि व्यक्ति जो सफलता चाहता है, वह उसे नहीं मिल पाती। वह हजारो तरह के उपाय एवं युक्तियाँ अपनाता है। बावजूद इसके उसे उपयुक्त परिणाम नहीं प्राप्त नहीं हो पाते। इन्हीं सब बातों को ध्यान में...
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