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जिज्ञासा (eBook)

JIGYASA
Type: e-book
Genre: Poetry
Language: Hindi
Price: ₹51
(Immediate Access on Full Payment)
Available Formats: PDF

Also Available As

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Description

दिनांक २४/०३/२०२० रात्रि ८ बजे, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस के संक्रमण के भय के चलते २१ दिवसीय देशव्यापी सम्पूर्ण LOCK DOWN की घोषणा कर दी।
उसके पश्चात तो जैसे समूर्ण २०२० में lock-downs की झड़ी सी ही लगी रही। कुछ और काम तो नहीं हो पाए परन्तु काव्य लेखन का तारतम्य चलता रहा। आनन फानन में मेरी पंद्रहवीं काव्य कोशिका सम्पूर्ण हो गई। अब बारी आई पुस्तक के शीर्षक की। बिना किसी झिझक के मन से ध्वनि सुनाई दी "जिज्ञासा"। जिज्ञासा मेरी ज्येष्ठ पुत्री का नाम है। फिर तो सोचना ही क्या था?नेकी और पूछ पूछ।शीर्षक रख दिया जिज्ञास। तो लीजिये प्रस्तुत है " जिज्ञासा "
आपका अपना,
सुभाष सहगल

About the Author

वर्ष १९७३ की बात है, पूना फिल्म इंस्टिट्यूट से फिल्म एडिटिंग का डिप्लोमा गोल्ड मैडल सहित प्राप्त कर मैनें मायानगरी मुंबई में पदार्पण किया ।आया तो था मैं फिल्म सम्पादक बनने और एक सफल फिल्म सम्पादक बन भी गया। २२ वर्ष तक जम के फिल्मों का सम्पादन किया, इस अंतराल में लगभग लगभग २५० हिंदी एवं अन्य क्षेत्रीय भाषाओँ की फ़िल्में सम्पादित (एडिट) की।
जिनमें से मुख्य फ़िल्में थीं:-
लेकिन
इजाज़त
तेरी मेहरबानियां
वारिस
एक चादर मैली सी
निशान
हिम्मत और मेहनत
इत्यादि....
बहुत सारे महा धारावाहिक भी एडिट किये
प्रमुख धारावाहिकों के नाम हैं:-
रामायण
उत्तर रामायण
श्री कृष्णा
दादा दादी की कहानियां
विक्रम और बेताल
मिर्ज़ा ग़ालिब
आदि आदि ...
इस दौरान श्री रामानंद सागर, गुलज़ार, रविंद्र पीपट, चित्रार्थ, सुखवंत ढढा, के बापईया,राजा नवाथे, आनंद सागर,सागर सरहदी आदि दिग्दर्शकों के साथ बतौर सम्पादक कार्य करने का सुअवसर प्राप्त हुआ। सूची लम्बी है सबके नाम सम्मिलित करना संभव नहीं है, क्षमा प्रार्थी हूँ।
एक चादर मैली सी के लिए सर्वश्रेष्ठ सम्पादक का फिल्मफेयर अवार्ड एवं लेकिन के लिए ढेर सारे अवार्ड्स प्राप्त हुए ।
तीन पंजाबी फिल्मों चन्न परदेसी, कचहरी एवं मढ़ी दा दीवा को नेशनल अवार्डस से सम्मानित किया गया ।
फिर १९९२ में सम्पादन छोड़ लेखन, दिग्दर्शन, निर्माण अदि क्षेत्रों में घुसने का प्रयास किया।और कुछ फ़िल्में एवं धारावाहिक का निर्माण एवं निर्देशन किया।
फ़िल्में थीं:-सनी देओल स्टारर प्यार कोई खेल नहीं एवं पाओली डैम स्टारर यारा सिल्ली सिल्ली ।
गुलज़ार लिखित एवं विशाल भारद्धाज के संगीत से सजे एवं कैलाश अडवाणी द्धारा निर्देशित एक कहानी और मिली धारावाहिक का निर्माण भी किया ।
तकरीबन १२ फिल्म अवार्ड्स जूरीस में बतौर मेंबर शामिल रहा जिनमें राष्ट्रीय पुरुस्कार भी शामिल हैं ।
२०१५ से हिंदी काव्य लिखने का जूनून सवार है। भिन्न भिन्न विषयों पर लगभग १००० कविताएं लिख चुका हूँ ।
अब तक मेरी चौदह हिंदी कविताओं की पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं ।
दिल की अलमारी से, आहट अंतर्मन की, शब्दों की कड़ाही से, मेरे खेत में कविता उगे, लम्हे, उद्गार, तिनके, टहनियां, इक कलम चली, पगडंडियां, बयार, भेलपुरी, गीतिका एवं झंकार ।
मेरी कविताओं में समाज, राजनीती, धर्म, रिश्ते, नाते, आतंकवाद, प्रणय-प्रेम आदि सभी विषयों को गंभीरता एवं व्यंगात्मक दोनों शैलिओं में प्रस्तुत किया गया है।
परन्तु अक्सर आत्महत्या करता मजबूर किसान, आत्मदाह करती असहाय बाला, मातृभूमि के लिए अपने प्राण न्योछावर करता सेना का जवान, भ्रष्ट राजनैतिक तंत्र, आतंकवादी एवं देशद्रोही कीट, हमारा अजातशत्रु पाकिस्तान आदि आदि मेरी कविताओं के केंद्रबिंदु होते हैं।
यदा कदा शुद्ध हास्य भी लिख लेता हूँ।
जिज्ञासा मेरी पंद्रहंवी काव्य कोशिका है।

Book Details

Publisher: MADHYAM
Number of Pages: 178
Availability: Available for Download (e-book)

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