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श्रीराम का दुनिया को सन्देश----- (eBook)

Shree Ram Message To The World...
Type: e-book
Genre: Religion & Spirituality
Language: Hindi
Price: ₹121
(Immediate Access on Full Payment)
Available Formats: PDF

Description

प्रस्तुत पुस्तक धरती के मानवों के जीवन को सरल, सहज और सुंदर तथा सार्थक बनाने के लिए अर्थात् 'धरती को स्वर्ग बनाने के लिए कुछ संदेश देती' है जैसे - मानव जीवन की शुरूआत उसके बचपन से होती है इसलिए बच्चों को माता-पिता, गुरुजनों व श्रेष्ठ जनों के प्रति आज्ञाकारी बनाया जाए तो उनमें अन्य सारे गुण स्वतः आ जाएँगे। उनका भविष्य शुरु से ही उज्जवल होगा, परिवार में सुख शांति और ऊँचे संस्कार का वातावरण बनेगा। भाईयों में परस्पर प्रेम और सद्भावना कायम रहेगी। सभी चरित्रवान होंगे और पाप कर्म से दूरी बनेंगी ।
भगवान श्रीराम ने अयोध्या की राजगद्दी त्याग कर 14 वर्ष तक वनवास करके इतना बलिदान, त्याग व तपस्या क्यों किया, आखिर इस त्याग और तपस्या का उद्देश्य क्या था? हम धरती के मानवों के लिए एक बड़ा सवाल है-

वर्तमान में जहाँ पारिवारिक विघटन का दौर चल रहा है उस पर विराम लगेगा। अच्छे विचार आएंगे, मधुर वाणी और परस्पर सम्मानजनक व्यवहार का नया अध्याय शुरू होगा। समाज में अपराध और अपराधी घटेगें । अदालतों में वादों का बोझ कम होगा। देश में ठोस और द्रुत गति से विकास होगा। प्रकृति की नाराजगी कम होगी और लोग अधिकार से अधिक कर्तव्य पर ध्यान देंगे तब संघर्ष के बजाय परस्पर सहयोग की भावना से कार्य करेंगे।
अच्छे कार्य करने वाले सम्मानित और गलत कार्य करने वालों का सामाजिक बहिष्कार होगा। विघटनकारी शक्तियां कमजोर होगी. तब हमारा देश रचनात्मक सोच के साथ उन्नति की दिशा में दुनिया में एक अलग पहचान बना कर वास्तविक रुप से आदर्श और विश्व गुरु बन जाएगा तब "धरती को स्वर्ग बनाने में" देश की भूमिका अग्रणी और महत्वपूर्ण बन सकती है।
जैसा कि वैश्विक महामारी के पीछे चीन की विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि तैयार करने की साजिश बताया जा रहा है। यदि यह सच है तो बहुत दुःखद है। भगवान ने इंसान बना कर हम मानवों को धरती पर भेजा किन्तु यहाँ हमने हिंदू और मुसलमान तथा अनेक धर्मों और फिरको में बाँट लिया और लड़ रहे हैं। भगवान ने दुनिया बनाई थी किन्तु हम देश बनाकर देश-देश के बीच युद्ध कर रहे हैं। आखिर विकास के लिए या विनाश के लिए? यदि हम इस पर गंभीरता से विचार कर सकरात्मक सोच के साथ "धरती को स्वर्ग बनाने" के संकल्प के साथ प्रकृति से तालमेल बना कर जीवन जीना न शुरु किए तो प्रकृति की नाराजगी का दंश कोरोना ही नहीं आगे कभी खत्म न होने वाली अनेक गंभीर बीमारियों व महामारियो से घिरे रहेंगे।
लेखक
वीरेन्द्र कुमार पाल एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट

About the Authors

लेखक की कलम से - भारत के उत्तर प्रदेश के प्रयाग मण्डल में प्रतापगढ़ जनपद के पृथ्वीगंज हवाई अडडे के पास स्थित ग्राम- भुइदहा के रामाधीन साहू के पाॅचवें पुत्र पंचम राव पाल के बड़े पुत्र वीरेन्द्र कुमार पाल वी.के.पाल का जन्म 1 सितम्बर सन् 1953 को सुबह ब्रहम बेला में हुआ। माता महादेवी के पालन-पोषण में अच्छी परवरिश हुई अपने धुन के पक्के अध्यात्मिक विचार धारा के वीरेन्द्र कुमार की शिक्षा वी.काम, एल.एल.वी तक हुई तत्पश्चात जनपद प्रतापगढ़ के जिला अदालत में बकालत शुरू की। कुछ समय हाईकोर्ट इलाहाबाद और लखनउ अब काफी दिनों से मा0 सुप्रीम कोर्ट दिल्ली में वकालत की।
सामाजिक चेतना के धनी वीरेन्द्र कुमार को सामाजिक व संवैधानिक विषमता के विरूद्व संघर्षों में शुरू से रूचि थी। समाज व शासन प्रसाशन के उपेक्षितों के संवैधानिक हक वअधिकार के लिए संघर्ष करने हुए अखिल भारतीय चैखम्भा संगठन का गठन कर कानून और व्यवस्था देखने वाली पुलिस के साथ लगे होमगार्डों पी.आर.डी. जवानों व ग्रामीण चैकीदारों के लिए न्याय दिलाने का संकल्प लेकर सघर्ष शुरू किया जिसमें भारत के संविधान अनुच्छेद 14 में विधि के समक्ष समता के अधिकार के तहत देश के होमगार्डों को देश की सिविल पुलिस के समान वेतन सुविधा व नियमित सेवा का मुद्दा मजबूती से उठाया जिसमें कई बार जेल जाना पड़ा।
सामाजिक स्तर पर राजनीति में दलितों व पिछड़ों को हक दिलाने के लिए मायावती व मुमायम सिंह को एकजुट करने का भी प्रयास किया। एक बार बरसों अन्य त्याग दिया था माॅ के दबाव पर पुनः अन्न ग्रहण किया।
दान देने में रूचि दतनी थी कि शहर में अपनी एक जमीन बेंच कर एक सामाजिक कलाकार चैतुराम सुमन को सन् 1990 के दशक में अम्बेजडर कार देकर पुरस्कृत किया। जब कि खुद बे-कार थे। जिसकी खबर ठठब् लंदन से प्रसारित हुई थी।
1 सितम्बर 2012 को मध्य रात्रि में "भगवान शिव माता पार्वती" के साथ दर्शन देकर 'ओउम् नमः शिवाय' महामंत्र जपने को कहा तब से धर्म पत्नी श्रीमती शान्ती देवी के साथ सपरिवार प्रत्ये माह की अंतिम तिथि को सुबह ब्रहम बेला से 24 घण्टे का अखण्ड जप का शुभारम्भ कर दूसरे दिन अर्थात प्रत्येक पहली तारीख को सुबह हवन/पूर्णाहुति का धार्मि कार्यक्रम निरन्तर चल रहा है। भगवान भोले नाथ के निरन्तर आदेश का पालन करने पर अब "भगवान श्रीराम का दुनिया को सन्देश" नामक इस पुस्तक को लिखने का निर्देश दिया है जो भगवान श्रीराम के जीवन आदर्शाें को समाज में जन-जन तक पहुॅचाकर इस पुस्तक व संकल्प को पूरा करना हैA

Book Details

Publisher: Om Namah Shivay Sewa Sansthan
Number of Pages: 92
Availability: Available for Download (e-book)

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श्रीराम का दुनिया को सन्देश-----

श्रीराम का दुनिया को सन्देश-----

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Mummy@papa23 1 year ago

भगवान श्रीराम का दुनिया को सन्देश-----

Bhagwan shree ram ka samporna jeevan sabko sath lekar chalne, sabke maan-samman ki chinta karne tatha sabki bhalaie sunischit karen ke prati samarpit raha hai.

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