You can access the distribution details by navigating to My Print Books(POD) > Distribution
यह पुस्तक मनुष्य के सबसे गहरे विश्वासों पर एक शांत लेकिन निर्णायक प्रश्न है मैं कौन हूँ?
क्या मेरी इच्छा वास्तव में स्वतंत्र है?
सही–गलत, दोष, दंड और नैतिकता की नींव कहाँ से आती है?
मनोविज्ञान, तंत्रिका-विज्ञान और दार्शनिक चिंतन के आधार पर यह ग्रंथ दिखाता है कि मनुष्य जिसे अपना “मैं” समझता है, वह समाज, संस्कृति, भय, अनुभव conditioning का परिणाम है।
यह पुस्तक ईश्वर, ज्ञान, शिक्षा, नैतिकता और स्वतंत्र इच्छा जैसे विषयों को नकारने के लिए नहीं, समझने के लिए देखती है।
और उसी समझ से जन्म लेती है—करुणा।
यह कोई उपदेशात्मक पुस्तक नहीं है।
यह न सही–गलत सिखाती है, न जीवन के नियम देती है।
यह केवल दृष्टि देती है जहाँ दोष टूटता है, अहंकार ढहता है, और मनुष्य पहली बार स्वयं से और दूसरों से मानवीय रूप में मिलने लगता है।
यदि आप उत्तर नहीं, समझ की तलाश में हैं तो यह पुस्तक आपके लिए है।
Currently there are no reviews available for this book.
Be the first one to write a review for the book अशर्त मन (The Unconditioned Mind).