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जब सर्व प्रथम मानव ने पृथ्वी पर जन्म लिया होगा तो वह बिल्कुल अकेला रहा होगा। किन्तु मानव प्रवृत्ति सामान्यतया सामाजिक होने, लोगों से बातचीत करने, तथा मित्र एवं साथी बनाने की होती है। और जब मानव को समर्पित रूप से साथ रहने के लिए किसी स्थायी साथी की आवश्यकता हुई होगी तब कदाचित यह विवाह की प्रथा विकसित हुई होगी।
जब आप विवाह करने का निर्णय लेते हैं तब आप एकाकी जीवन से विवाहित होने का सफर तय करते हैं। और तब आपका जीवन पूर्णतया परिवर्तित हो जाता है; चाहे वह सकारात्मक रूप से हो अथवा नकारात्मक। आप किसी को कितनी भी अच्छी तरह जानते हों परन्तु विवाह बहुधा एक जुए के खेल के सामान होता है और आगे की जिंदगी इस बात पर निर्भर करती है कि आप जीतते हैं या हारते हैं।
तो क्यों न आप दूसरों के अनुभवों से सीखें जो पहले ही पुल पार कर चुके हैं? यह आपको जीवन का एक अलग दृष्टिकोण दे सकता है तथा आप स्वयं को मानसिक तथा शारीरिक रूप से भली भांति सुसज्जित कर सकते हैं।
यह पुस्तक उन लोगों के लिए है जो अपने करियर में सेटल हो चुके हैं तथा जीवन साथी की खोज में हैं; यह उनकी यात्रा में उनका मार्गदर्शन करने और इस परिवर्तन को आत्मसात करने में उनकी सहायता कर सकती है।
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