You can access the distribution details by navigating to My Print Books(POD) > Distribution
आदरणीय पाठकों, फिर से प्रस्तुत है आपका पोस्टमैन। पिछले भाग में मैने रिश्तों को जोड़ने का प्रयास किया और कुछ हद तक उसमें सफल भी रहा। पर अब मेरा अपना जीवन खाली खाली सा हो गया है। आखिर सेवा निवृत्ति के पश्चात एक सामान्य मनुष्य क्या करे?
इधर उधर बैठकर समय व्यर्थ करने से कुछ प्रोडक्टिव तो नहीं होगा। मैं तो यही मानता हूँ। देश के हर व्यक्ति को, प्रत्येक नागरिक को मृत्यु पर्यन्त कुछ ना कुछ प्रोडक्टिव कार्य करते रहना चाहिए। यह जीवन तो हमें कार्य करने के लिए ही मिला है ना कि सेवा निवृत्त होकर घर बैठने के लिए अथवा इधर उधर बैठकर गपशप करने के लिए। वैसे मैं भी इधर उधर बैठकर अपना समय व्यतीत कर सकता हूँ। पर मुझे लगता है कि जब तक जीवन है मैं देश की समस्याओं पर विचार कर सकता हूँ। उनके निदान के लिए के सुझाव दे सकता हूँ। मेरा कर्म तो इतना ही है। शेष दायित्व मानने वालों पर है।
हाल ही में न्यूज सुनते सुनते मुझे अनुभव हुआ कि मैने रिश्तों को जोड़ने की कोशिश तो की लेकिन देश का वातावरण और सामाजिक व्यवस्था में मेरा कुछ भी योगदान नहीं रहा। अपने चारों ओर देखता हूँ तो अन्याय और अव्यवस्था दिखाई देती है। तो फिर मन में विचार आया कि क्यों ना इस अन्याय और अव्यवस्था को रोकने के लिए कुछ पत्र लिखे जाएँ।
तो बस पत्रों की एक नई शृंखला आरम्भ हो गयी।
Currently there are no reviews available for this book.
Be the first one to write a review for the book Postman-2.