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"खिड़की से झाँकती ज़िंदगी" – एक स्मृतियों की खिड़की से झाँकता जीवन
यह पुस्तक मात्र संस्मरणों का संग्रह नहीं, बल्कि आत्मा से आत्मा तक की यात्रा है। "खिड़की से झाँकती ज़िंदगी" में लेखक ने अपने बचपन, परिवार, गाँव, स्कूल, रिश्तों, और उन अनकहे अनुभवों को सहेजा है जो समय के साथ भीतर बस जाते हैं। हर अध्याय एक खिड़की की तरह खुलता है — कहीं माँ की स्नेहिल नज़र, कहीं दादी के चूल्हे की राख, कहीं पहली बारिश की छत, तो कहीं गाँव की चौपाल की मीठी सीखें।
यह किताब उन पाठकों के लिए है जो जीवन की भागदौड़ में अपने मूल को, अपनी मिट्टी को, और अपने भीतर के ‘मैं’ को खोजना चाहते हैं। सरल भाषा, भावनात्मक प्रस्तुति और लोक-संस्कृति की सुगंध से भरपूर यह कृति पाठकों को अपने भीतर के गहराइयों तक ले जाती है।
"खिड़की से झाँकती ज़िंदगी" एक स्मृति है, एक संवाद है — स्वयं से। यह पढ़ने के बाद पाठक न केवल लेखक से जुड़ता है, बल्कि अपनी ही भूली-बिसरी यादों की खिड़कियाँ खोल बैठता है।
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