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अपनी बात
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"नई नौबहार" साझा कविता संग्रह प्रस्तुत करते हुए मुझे अतीव प्रसन्नता हो रही है। मेरी ये साझा कविता संग्रह साहित्य के हर पहलू को छूती हुई मानव चेतना को पुष्ट करती जाती है। जहाँ सागर की विशालता हो, वहाँ एक बूंद के रूप में स्मृति में अंकित चंद भावनाओं को उकेर कर मैं आशा करता हूँ कि मेरे आत्म विश्वास का यह तुहिन कण भी सागर की अनंत धाराओं में शनै शनै चलते रहने का विश्वास नहीं खोएगा!
"नई नौबहार'' को मै माँ सरस्वती के चरणों में समर्पित करता हूँ जिन्होंने अपना प्यार, दुलार, स्नेह व आशीर्वाद देकर मुझे साहित्य की ओर अग्रसर होने के योग्य बनाया। मैं उन लोगों का भी आभारी हूँ जिन्होंने मेरी इस संग्रह के लिए पग- पग साथ दिया ! मै आभारी हू उन सभी साहित्यिक मित्रों का जिन्होंने मुझे रचना संग्रह करने मे एवं सभी पहलुओं पर विचार व्यक्त करने मे मेरा साथ दिया!
मै अपने पिता श्री भीष्म प्रसाद एवं माता श्रीमती बिंदु देवी के असीम प्यार का आशीर्वाद से मै आज इस कार्य के लिए हिम्मत जुटा पाया!
रूपेश कुमार
पुरानी बाजार चैनपुर
सीवान बिहार
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