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Codename: The Professor
एक साधारण-सी प्रोफेसर जब एक कॉलेज प्रोजेक्ट के ज़रिए देश के कम्युनिकेशन नेटवर्क में घुसपैठ की एक साजिश का पर्दाफाश करती है,
तो उसकी ज़िंदगी एक झटके में बदल जाती है।
जिन्हें वह अपने सहकर्मी, अपने छात्र या अपने वरिष्ठ अधिकारी समझती थी —
वो असल में एक ऐसे साइबर नेटवर्क के हिस्से निकलते हैं
जो भारत की सुरक्षा प्रणाली को भीतर से तोड़ने की योजना बना रहे हैं।
जब देश के शीर्ष वैज्ञानिक गायब होने लगते हैं,
और रहस्यमयी ऐप्स सरकारी सर्वरों में सेंध मारने लगते हैं —
अदिति को अपने भीतर की डर और दर्द से लड़ना पड़ता है।
उसके साथ खड़ा है उसका पूर्व छात्र — मोहसिन,
एक जीनियस लेकिन भावुक युवक, जो अब उसके लिए एक साथी से बढ़कर बन जाता है।
कहानी अपने चरम पर पहुँचती है जब अदिति और मोहसिन
नेशनल कम्युनिकेशन सेंटर की एक हाई-सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस में भेष बदलकर पहुँचते हैं,
जहाँ हर कोना कैमरों से भरा है, हर चेहरा शक़ी है,
और मंच पर बैठे चेहरों में कुछ ऐसे लोग भी हैं —
जो इस साजिश के सूत्रधार हैं।
जब गोलियाँ चलती हैं,
जब कोड और कमांड एक दूसरे से भिड़ते हैं,
और जब देश का डिजिटल भविष्य एक कंप्यूटर स्क्रीन पर टिका होता है —
तब अदिति एक ऐसी लड़ाई लड़ती है
जो किताबों में नहीं, बल्कि इतिहास में दर्ज होने वाली है।
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती।
साजिश के पीछे की असली परत तब खुलती है
जब अदिति की पहचान एक गुप्त एजेंट के रूप में सामने आती है —
वह RAW की स्पेशल यूनिट “Unit Six” का हिस्सा है।
एक ऐसी टीम जिसका हर सदस्य एक कोडनेम से जाना जाता है —
भीम, नकुल, सहदेव… और अब, अर्जुन।
मोहसिन को अब उसी यूनिट में शामिल किया जाता है,
और कहानी एक नए मिशन की तरफ मुड़ जाती है —
जहाँ दुश्मन अब सिर्फ़ बाहर नहीं, बल्कि सिस्टम के भीतर भी है।
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