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"दिल में जो होती है बस वो बात लिखता हूँ मैं कोई अल्फ़ाज़ नही अपने ज़ज्बात लिखता हूँ " शायर के तौर पे लिखी हुई ये मेरी पहली लाइन थी जिसमे की मैने अपने आप से ही कहा था की मैं अपने ज़ज्बात ही लिखूंगा. मेरी ये किताब कहीं ना कहीं इसी से प्रेरित है और मेरी रचनाओ का संग्रह है. उम्मीद है आप सभी इसे पसंद करेंगे ताकि मुझे और लिखने की हिम्मत मिले .अगर कहीं भी त्रुटि मिले तो ज़रूर अवगत कराए ताकि आगे मैं उसे सुधार सकूँ, धन्यवाद
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