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कविताओं की गुंडागर्दी

काव्य कोष
Subhash Sehgal
Type: Print Book
Genre: Poetry
Language: Hindi
Price: ₹217 + shipping
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Description

कविताओं की गुंडागर्दी!!!!
चौंक गये ना!
सोच रहे होंगे कि कविताएं कैसे गुंडागर्दी कर सकती हैं!
अरे भाई कर सकती हैं, बहुत भयंकर गुंडागर्दी कर सकती हैं, करती हैं, करती आई हैं।कविताओं की गुंडागर्दी चलती रही और मैं पुस्तकों पर पुस्तकें प्रकाशित करता रहा। कविताओं की गुंडागर्दी मेरी इक्कीसवीं काव्य पुस्तिका है। ये कविताएं कैसी गुंडागर्दी करती हैं, आओ एक कविता ही के माध्यम से समझते हैं, कैसी होती है….. इन कविताओं की गुंडागर्दी....

"कविताओं की गुंडागर्दी"

कभी आधी रात, कभी सुबह सवेरे,
कभी सूरज चढ़े, कभी घने अंधेरे,
कभी सनीमा में, कभी बस बैठे,
कभी बीच हवा, वायुयान बैठे,
ये कविताएं कभी भी, कहीं भी,
विचारों में उतर आती हैं।
और फिर तुरन्त ही लिखने की
धौंस जमाती हैं।
अड़ ही जाती हैं, जब तक
पन्नों पर उतर नहीं जाती हैं।
पर एक बात तो है इनमें कि,
लिखने से पहले की
दादागीरी/ गुंडागर्दी तो ठीक,
पर जब कागज़ पर उतर आती हैं,
तो फिर तो मन मोह जाती हैं।
ये तो सच है कि विचारों से
पन्नों तक उतरने के समय तक,
जम के गुंडागर्दी दिखाती हैं,
अच्छा खासा सताती हैं।
पर,
जब ये पुस्तक में ढल जाती हैं,
तो मन को बड़ा गुदगुदाती हैं।
इन कविताओं की गुंडागर्दी,
मन को बड़ा भाती है।

सुभाष सहगल

About the Author

*सुभाष सहगल* भारतीय फिल्म उद्योग में एक प्रमुख व्यक्ति हैं, उन्हें सिनेमा के बेहतरीन सम्पादकों में से एक माना जाता है, उत्कृष्ट लेखन शक्ति के साथ सबसे नवीन कवि, उत्कृष्ट गीतकार, टेलीविजन के लिए तेज संपादक और मीडिया और मनोरंजन में कई नौसिखियों के करियर को संवारने में उन्होंने योगदान दिया है, एक दार्शनिक जो समाज के उत्थान के लिए कई स्वायत्त/गैर-स्वायत्त निकायों, ट्रस्टों और गैर-लाभकारी उद्यमों से जुड़े रहे हैं।
सुभाष सहगल साहित्य, फिल्म निर्माण, संस्कृति और आधुनिक तकनीक का बेहतरीन मिश्रण हैं। एक संपादक के रूप में उनके काम का दायरा विशाल और विविध है। टेलीविजन के लिए लोकप्रिय धारावाहिक हैं *रामानंद सागर की रामायण,* विक्रम बेताल, दादा दादी की कहानियां, श्री कृष्णा, मिर्जा गालिब आदि और फिल्मों के लिए वारिस, इजाज़त, लेकिन, तेरी मेहरबानिया, सलमा, बादल, चन परदेसी, एक चादर मैली सी, कचहरी, आदि कुछ नाम हैं। अब तक उन्होंने *250 से अधिक फिल्में की हैं।*
एक निर्माता और निर्देशक के रूप में, उन्होंने प्यार कोई खेल नहीं, यारा सिल्ली सिल्ली जैसी फिल्में बनाई हैं।
उन्होंने विचारों के ज्ञान का उपयोग करके विचारों को व्यक्त करने में अपना स्थान पाया है।

गुलज़ार लिखित एवं विशाल भारद्धाज के संगीत से सजे एवं कैलाश अडवाणी द्धारा निर्देशित एक कहानी और मिली धारावाहिक का दूरदर्शन (नेशनल)के लिए निर्माण भी किया ।
तकरीबन १५ फिल्म अवार्ड्स जूरीस में बतौर मेंबर एवम चेयरपर्सन शामिल जिनमें राष्ट्रीय पुरुस्कार, स्क्रीन अवार्ड्स, ITA, MIFF भी शामिल हैं ।
उनकी यात्रा सिनेमा के कई महत्वाकांक्षी लोगों के लिए अनुकरणीय है। उनकी यात्रा एक स्नातक से शुरू होकर *एफटीआईआई, पुणे से स्वर्ण पदक प्राप्तकर्ता* तक की है और फिर उनका मंद बादलों को भेदते हुए फिल्म निर्माण के आकाश की यात्रा करना और फिर भी सर्वश्रेष्ठ परिमाण में नौकायन करना सराहनीय है।
सुभाष सहगल को एक चादर मैली सी के लिए *फिल्मफेयर* जैसे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, उनकी तीन फिल्मों चन्न परदेसी, मढ़ी दा दीवा और कचहरी को लगातार तीन वर्षों तक सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार से *राष्ट्रीय पुरस्कार* मिला। वह *स्क्रीन पुरस्कारों के लिए जूरी, राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार (दक्षिण) और एमएमआईएफएफ पुरस्कारों के अध्यक्ष रहे हैं।*
वह एक सफल सिनेमा के शिल्पकार रहे हैं। स्वच्छ एवं मनोरंजक फिल्मों एवं कविताओं का सृजन करना उनका उद्देश्य है।
पिछले दो दशकों से, वह सक्रिय रूप से अपने काव्य कौशल के माध्यम से साहित्य के कुछ विलक्षण कार्यों को सामने ला रहे हैं जो अत्यधिक जन-आकर्षक, समसामयिक और कभी-कभी मजाकिया होते हैं। और इसीलिए वह इस उद्देश्य की सेवा के लिए भारत सरकार के साथ-साथ प्रतिष्ठित संगठन और अन्य सांस्कृतिक संस्थानों से जुड़े हुए हैं। उनके नाम सोलह प्रकाशित हिंदी काव्य पुस्तकें है।
दिल की अलमारी से,आहट अंतर्मन की,शब्दों की कड़ाही से, मेरे खेत में कविता उगे,उद्गार,तिनके,टहनियां,इक कलम चली, पगडंडियां,झंकार,भेलपुरी,गीतिका,लम्हे,जिज्ञासा,बयार, मुंडेर पर बैठी कवितायेँ, लम्हों से लिपटी मेरी कवितायेँ, मानवी के मनके, कविताओं के होंठ हिले, राम नाम का अमृत पी ले एवं कविताओं की गुंडागर्दी आदि आदि .....
कविताओं की गुंडागर्दी उनकी इक्कीसवीं काव्य पुस्तिका है।

Book Details

Publisher: काव्यमंथन
Number of Pages: 146
Dimensions: 5.83"x8.27"
Interior Pages: B&W
Binding: Paperback (Perfect Binding)
Availability: In Stock (Print on Demand)

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