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विश्वास और अंधविश्बास में छोटा सा अंतर होता हैं जब जरुरत से ज्यादा विश्वास हम करने लगते हैं तो हम उस विषय में ज्यादा नहीं सोचते कि सही हैं या गलत |
जब हम किसी पर जरुरत से ज्यादा भरोसा या विश्वास कर लेते हैं तो यही से अन्धविश्वास का जन्म होता हैं |
भारत आदिकाल से ही रीति रिवाज़ो का देश रहा हैं और अनुष्ठान , प्रथाएं, विश्व में भी प्रचलित हैं | हर चीज के पीछे एक न एक कारण होता हैं, हमारे पूर्वजो ने जो रीति रिवाज़ , प्रथाएं बनाई हैं वह मानव-जीवन के लिए हर दृष्टिकोण से सही थी चाहे स्वास्थ्य हो समाज ह या धार्मिक हो , हर आयाम में फिट होती थी यह व्यवस्था |
समय बदलने के साथ साथ हमने इन प्रथाओं को कही खो स्सा दिया हैं और आज का हमारा देश कई समूहों में बंट गया हैं उसके साथ साथ देश में कई नए बुद्धिजीवी वर्ग और समूहों का उदय हुआ हैं | कुछ समूह अधिकारों के लिए लड़ते हैं और कुछ का काम होता हैं बिना सोचे समझे चीजों को गलत ठहराना जिसका सीधा प्रभाव हमारे बच्चो और नयी पीड़ी पर पड़ रहा हैं क्यूक नयी पीढ़ी ऐसी चीजों का अनुशरण जल्दी कर लेती हैं लेकिन अंत में वह दिशाहीन हो जाते हैं क्योकि प्रभावित करने वाले समूह या व्यक्ति खुद दिशाहीन होते हैं|
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