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सुभाष चन्द्र यादव पुनः लिखै छथि-
एक बेर अनुग्रह नारायण सिन्हा सामाजिक संस्थान, पटना मे एकटा कार्यक्रम भेल। केन्द्रीय भाषा संस्थान, मैसूर एहि कार्यक्रमक आयोजन कयने छल। कार्यक्रमक मूल चिन्ता मैथिली भाषाक विकास छल। विकास कोना हो, ताहिपर अनेक वक्ता अपन-अपन वक्तृता देलनि। डॉ. मेघन प्रसाद सेहो अपन विचार रखलनि। हुनक भाषा मे ओतेक आदरसूचकता नहि छलनि, जतेक विद्वत समूह कें अपेक्षा रहनि। फल ई भेल जे हुनक भाषिक स्खलन लेल भाषणक बिच्चहि मे बहुत अशिष्टतापूर्वक हुनकर हँसी उड़ाओल गेल। ई दृश्य हमरा विचलित कयने छल आ एहि तरहक भाषिक असहिष्णुताक प्रतिकार हम तत्क्षण कयने रही।
अही केन्द्रीय भाषा संस्थान, मैसूर क सेमीनारक एकटा आलेख जे मेघन प्रसाद पढ़ने छला, से रमानन्द झा ’रमण’क कथित लिटेरेरी एसोशियेसनक पत्रिका ’घर बाहर’ मे बिनु पहिल पैराग्राफक छपल (ऐ काजमे रमानन्द झा ’रमण’ उस्ताद छथि), मुदा ओ आलेख अविकल रूपमे विदेहमे बादमे ई-प्रकाशित भेल। आ अहाँकेँ बूझल अछि जे ओइ कुटिलता द्वारा कोन...
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