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Kaaljayee Lokgeet कालजयी लोकगीत

Rajasthani Geet राजस्थानी गीत
Shakuntla Mangal शकुन्तला मंगल
Type: Print Book
Genre: Poetry, Education & Language
Language: English, Hindi
Price: ₹450

Also Available As

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Description

Kaaljayee Lokgeet was completed in 2010 which is in your hand now. In this book 105 famous and popular Rajasthani Songs are collected and presented and the meaning of few hard songs is also given. At the end of the book, 10 songs written by the author are also included which shows the writing capability of the author.

कालजयी लोकगीत 2010 में पूरी की गयी जो आपके सामने है। इसमें 105 प्रसिद्ध कालजयी काल यानि समय को जितने वाले राजस्थानी गीतों का संकलन किया गया है और कुछ कठिन गीतों के भावार्थ भी दिये गये हैं। अंत में 10 स्वरचित गीतों का समावेश किया गया है जो लेखिका की रचनात्मक समता को दर्शाता ह

About the Author

Mrs. Shakuntla Mangal was a forward lady of Rajasthan, who fulfilled her all duties towards her family and also served society by free education provided by her to many ladies and children. She had a great love and respect for the Rajasthani language and literature.

श्रीमती शकुन्तला मंगल राजस्थान की एक अग्रणी महिला थी, जिन्होंने अपने परिवार के प्रति सभी कर्तव्यो का पालन सफलता पूर्वक करने के साथ साथ अपने आस पास की महिलाओं और बच्चों को निशुल्क पढाकर समाज की भी सेवा की।

इनके प्रथम पुत्र श्री सुनील मंगल, जयपुर यूनिवर्सिटी के सेवा निवृत्त प्रोफेसर हैं (निवास स्थान: जयपुर), द्वितिय पुत्र श्री अनिल मंगल, ओ एन जी सी के सेवा निवृत्त डिप्टी जनरल मैनेजर हैं (निवास स्थान: मुम्बई), तृतीय पुत्र श्री सुभाष मंगल, प्रिंसिपल के पद पर कार्यरत हैं (निवास स्थान: अजमेर) और चतुर्थ पुत्र श्री सुरेश मंगल, कृषि उपज मंडी, बाडमेर में सेक्रेटरी के पद पर कार्यरत हैं (निवास स्थान: जोधपुर), पुत्री श्रीमति सुलोचना के पति निर्यात वाले चांदी के गहने बनवाते हैं (निवास स्थान: जयपुर), जो इनकी परिवार के प्रति सफलता को दर्शाता है।

साहित्य और राजस्थानी भाषा के प्रति इन्हें अगाढ प्रेम था और काफी उम्र हो जाने पर भी वे इसकी सेवा में लगी रहतीं थी। इनकी कुछ प्रमुख उपलब्धियां निम्न रहीं।

01 जयपुर दूरदर्शन से घर आंगन कार्यक्रम में इनकी एक वार्ता का प्रसारण हुआ था जिसमें इन्होंने घर में रहकर साक्षरता के लिए काम करने के अपने अनुभवों से सबको प्रेरणा दी।

02 ब्यावर में "महिला दिवस" पर आयोजित एक समारोह में इन्होंने महिलाओं को साक्षरता के लिए काम करने की प्रेरणा देते हुए एक भाषण दिया।

03 स्वरमाला परिचय 1995 में छपी। इसे अजमेर जिला संपूर्ण साक्षरता समिति द्वारा "राजीव गाँधी पुस्तक माला" के अंतर्गत प्रकाशित किया गया। इसमें स्वर के पहले अक्षर अ से लेकर अंतिम अक्षर अः तक हर मात्रा पर आसान कविताऐं इनके द्वारा लिखी गयी, जिन्हें बहुत सुंदर रंगीन चित्रों के साथ छापा गया। ये स्वरज्ञान के लिए किया गया एक सफल प्रयोग रहा।

04 व्रत, त्यौंहार एवं लोक कथाऐं" 1996 में छपी। यह 2011/ 2017 में पुनः छपी। यह किताब फ्लिपकार्ट और अमेजान पर उपलब्ध है। इसमें पूरे साल के हर त्यौंहार को मनाने की विधि और हर त्यौंहार की कहानी दी गयी है।

05 रातिजगा के गीत 2001 में छपी। इसमें पितरों यानि घर की पुण्य आत्माओं के लिए रात्रि जागरण की विधि, गीत और उनके अर्थ दिए गए हैं।

Book Details

ISBN: 9789354164712
Publisher: Self Published
Number of Pages: 130
Dimensions: A4
Interior Pages: B&W
Binding: Paperback (Perfect Binding)
Availability: In Stock (Print on Demand)

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