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कविताएं बोलती हैं

काव्य कोष
सुभाष सहगल
Type: Print Book
Genre: Poetry
Language: Hindi
Price: ₹223 + shipping
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Description

कविताएं बोलती हैं

ये तो सच है की कवितायेँ बोलती हैं पर वो कब, कहाँ, कैसे, क्या बोलती हैं, यह जानना अति आवश्यक है। कवितायेँ यदि सामयिक हों तो पाठक या श्रोता तक अत्यंत गहनता से पहुंचती हैं।
कवितायेँ यदि ऐतिहासिक हों तो ज्ञानवर्धक होती हैं। और यदि कवितायेँ हास्य, व्यंग से ओतप्रोत हों तो कहने ही क्या। कविताएं जिस किसी भी भाव से ओतप्रोत हों, पाठकों व श्रोताओं तक उनकी पहुंच में कवि की काव्य शैली का भी बड़ा हाथ होता है। मेरा प्रयास सर्वदा ही यह रहा है कि मेरी कवितायेँ येन केन प्रकारेण श्रोताओं / पाठकों के हृदयों में स्थान पा जाएं। यदि मेरी कवतायें बोल पड़ें तो मैं स्वयं को धन्य मानता हूं। तो प्रस्तुत है मेरी बाईसवीं काव्य पुस्तिका कविताएं बोलती हैं।
पाठकों कि प्रतिक्रिया व आलोचना कि प्रतीक्षा रहेगी।

कविताएं बोलती हैं

जब जिह्वाओं पर लग जाएं ताले,
मन के भाव कोई ना निकाले।
जब दिल हो जाएं काले,
और मस्तिष्कों में लग जाएं जाले।।

तो कोनों खुदरों से निकल आती हैं,
सारे जग की व्यथा सुनाती हैं।
दिलों के भाव फरोलती हैं,
कविताएं बोलती हैं।।

जब रक्षक भक्षक बन जाए,
जनता को रह रह तड़पाये।
और उसकी वाणी को दबाये,
कोई रास्ता नज़र ना आये।।
तो,
कविताएं बोलती हैं,
हां हां,
कविताएं बोलती हैं।

कोनों खुदरों से निकल आती हैं,
सारे जग की व्यथा सुनाती हैं।
दिलों के भाव फरोलती हैं,
कविताएं बोलती हैं।।
और,
जब खुशी से मन भर आए,
और नाचने को मनवा चाहे।
विचारों की बरखा आए,
और भावों की गंगा बहाए।।
तो,
कविताएं बोलती हैं,
खुशी में डोलती हैं।
सतरंगी रंगो से भरी भावनाएं,
भावों में घोलती हैं।।
हां हां,
कविताएं बोलती हैं।
कविताएं बोलती हैं।।

सुभाष सहगल

About the Author

*सुभाष सहगल* भारतीय फिल्म उद्योग में एक प्रमुख व्यक्ति हैं, उन्हें सिनेमा के सबसे बेहतरीन साहित्यकारों में से एक माना जाता है, जबरदस्त लेखन शक्ति के साथ सबसे नवीन कवि, उत्कृष्ट गीतकार,फिल्मों एवं टेलीविजन के लिए तेज-तर्रार संपादक
और मीडिया और मनोरंजन में कई नौसिखियों के करियर को संवारने और संवारने में योगदान दिया है, एक दार्शनिक जो समाज के उत्थान के लिए कई स्वायत्त/गैर-स्वायत्त निकायों, ट्रस्टों और गैर-लाभकारी उद्यमों से जुड़े रहे हैं।
सुभाष सहगल साहित्य, फिल्म निर्माण, संस्कृति और आधुनिक तकनीक का बेहतरीन मिश्रण हैं। एक संपादक के रूप में उनके काम का दायरा विशाल और विविध है। टेलीविजन के लिए लोकप्रिय हैं *रामानंद सागर की रामायण,* विक्रम बेताल, दादा दादी की कहानियां, श्री कृष्णा, मिर्जा गालिब आदि और फिल्मों के लिए वारिस, इजाज़त, लेकिन, तेरी मेहरबानिया, सलमा, बादल, चैन परदेसी, कचेहरी, एक हैं। चादर मीली आदि अब तक उन्होंने *250 से अधिक फिल्में की हैं।*
एक कवि के रूप में उन्होंने सन २०२४ व २०२५ के गणतंत्र दिवस के लिए गीत लिखे हैं। उनके २०२५ के गणतंत्र दिवस के अवसर पर लिखित गीत( जिसे ५५०० नर्तकों व नर्तकियों ने कर्तव्य पथ पर जीवंत प्रदर्शित किया था)को गिन्नेस बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में अनुसूचित होने का सम्मान मिला है। इस गीत का संगीत व गायन शंकर महादेवन ने किया है। सुभाष सहगल नें भारतीय सेना के दक्षिणी कमान के लिए भी गीत लिखा है जिसे सुखविंदर सिंह ने गाया है। उन्होंने नारी शक्ति,राजमाता अहिल्याबाई होल्कर आदि पर भी ज्वलंत गीत लिखे हैं।
उन्होंने विचारों के ज्ञान का उपयोग करके विचारों को व्यक्त करने में अपना स्थान पाया है।
पिछले दो दशकों से, वह सक्रिय रूप से अपने काव्य कौशल के माध्यम से साहित्य के कुछ विलक्षण कार्यों को सामने ला रहे हैं जो अत्यधिक जन-आकर्षक, समसामयिक और कभी-कभी मजाकिया होते हैं। और इसीलिए वह इस उद्देश्य की सेवा के लिए भारत सरकार के साथ-साथ प्रतिष्ठित संगठन और अन्य सांस्कृतिक संस्थानों से जुड़े हुए हैं। उनके नाम 22 प्रकाशित हिंदी काव्य पुस्तिकाएं हैं।
उनकी यात्रा सिनेमा के कई आकांक्षी लोगों के लिए अनुकरणीय है। उनकी यात्रा एक स्नातक से शुरू होकर *एफटीआईआई, पुणे से स्वर्ण पदक प्राप्तकर्ता* तक की है और फिर मंद बादलों को भेदते हुए फिल्म निर्माण के आकाश की यात्रा करना और फिर भी सर्वश्रेष्ठ परिमाण में नौकायन करना निश्चित है।
सुभाष सहगल को एक चादर मैली सी के लिए *फिल्मफेयर* जैसे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, उनकी तीन फिल्मों चन्न परदेसी, मढ़ी दा देवा और कचेहरी को लगातार तीन वर्षों तक सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार से *राष्ट्रीय पुरस्कार* मिला। वह *स्क्रीन पुरस्कारों के लिए जूरी, राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार (दक्षिण) और एमएमआईएफएफ पुरस्कारों के अध्यक्ष रहे हैं।* पिछले कुछ वर्षों से वह एक कलाकार के रूप में भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन क्र रहे हैं। वह एक बहु आयामीय व्यक्तित्व के रूप में जाने व सनमाने जाते हैं।

वह एक सफल व्यक्ति, एक सच्चा दोस्त, एक देखभाल करने वाला पिता, अद्भुत पति, भक्ति, ईमानदारी, पवित्रता और सिनेमा के एक शिल्पकार रहे हैं।

Book Details

Publisher: PIXAAMM
Number of Pages: 154
Dimensions: 5.83"x8.27"
Interior Pages: B&W
Binding: Paperback (Perfect Binding)
Availability: In Stock (Print on Demand)

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SUBHASHSEH 5 months, 1 week ago

उतर आती हैं जब कागज़ पर.....

जब जिह्वाओं पर लग जाएं ताले,
मन के भाव कोई ना निकाले।
जब दिल हो जाएं काले,
और मस्तिष्कों में लग जाएं जाले।।
तो कोनों खुदरों से निकल आती हैं,
सारे जग की व्यथा सुनाती हैं।
दिलों के भाव फरोलती हैं,
कविताएं बोलती हैं।।
जब रक्षक भक्षक बन जाए,
जनता को रह रह तड़पाये।
और उसकी वाणी को दबाये,
कोई रास्ता नज़र ना आये।।
तो, कविताएं बोलती हैं,
हां हां, कविताएं बोलती हैं।
कोनों खुदरों से निकल आती हैं,
सारे जग की व्यथा सुनाती हैं।
दिलों के भाव फरोलती हैं,
कविताएं बोलती हैं।।
और, जब खुशी से मन भर आए,
और नाचने को मनवा चाहे।
विचारों की बरखा आए,
और भावों की गंगा बहाए।।
तो, कविताएं बोलती हैं,
खुशी में डोलती हैं।
सतरंगी रंगो से भरी भावनाएं,
भावों में घोलती हैं।।
हां हां, कविताएं बोलती हैं।
कविताएं बोलती हैं।।

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