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"Ek Adhyatma Aisa Bhi" —
लेखक: Nirbhay Shukla
"Ek Adhyatma Aisa Bhi" एक आध्यात्मिक यात्रा का दस्तावेज है, जो आत्मा की खोज, मौन की शक्ति, और परमात्मा से साक्षात्कार तक ले जाती है। यह पुस्तक शब्दों से परे जाकर आत्मा की मौन पुकार को सुनने का निमंत्रण देती है।
प्रस्तावना में जीवन को एक अनंत यात्रा कहा गया है, जहाँ हर संघर्ष और उलझन हमें अपने भीतर छुपी अनंतता की ओर बुलाते हैं। लेखक पाठकों को अपने अनुभवों के माध्यम से स्वयं से मिलने की प्रेरणा देते हैं।
मुख्य विषय और अध्यायों का सार:
मौन (शायद एक अध्यात्म): मौन को साधारण चुप्पी नहीं, बल्कि आत्मा से संवाद का साधन बताया गया है।
कहानियाँ (रूप से परे, छांव उसी पेड़ की थी, जो कुछ नहीं रहा वही सब कुछ बन गया): सरल ग्रामीण कथाओं के माध्यम से गहरे आध्यात्मिक संदेश दिए गए हैं, जो जीवन के सत्य को सहजता से उजागर करते हैं।
अध्यात्म की सात सीढ़ियाँ: मन से मौन, मौन से प्रेम और प्रेम से परमात्मा तक की सात आध्यात्मिक अवस्थाएँ वर्णित हैं।
गुरु कौन है: गुरु को बाहरी व्यक्ति नहीं, बल्कि भीतर की उस चेतना के रूप में देखा गया है जो हमें हमारे सत्य से मिलाती है।
जब मैंने खुद को खोना शुरू किया: आत्मा की खोज में स्वयं की झूठी परतों को त्यागने की गहन यात्रा का वर्णन।
हर मुश्किल का हल आपके अंदर है: जीवन की सभी चुनौतियाँ भीतर के दृष्टिकोण से हल की जा सकती हैं — यह संदेश पूरे पुस्तक में बार-बार झलकता है।
मुख्य संदेश:
परमात्मा कहीं बाहर नहीं, हमारे भीतर ही है।
मौन में उतरकर हम अपने असली स्वरूप को पहचान सकते हैं।
प्रेम साधना का चरम रूप है, और सच्चे प्रेम में परमात्मा स्वयं प्रकट होता है।
साक्षीभाव — बिना राग-द्वेष के देखना — आत्मा की अंतिम जागृति है।
भावना:
यह पुस्तक केवल पढ़ने के लिए नहीं, बल्कि अनुभव करने के लिए लिखी गई है। यह शब्दों से ज्यादा मौन के माध्यम से पाठक को स्वयं की गहराई में उतरने के लिए प्रेरित करती है।
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