तरंग मनातील (माझ्या १७५ कविता आणि ५१ गझल)/Tarang Manatil (Mazya 175 Kavita Aani 51 Gazal)
ठहरो अभी तो जीना शुरू किया है
टहनियां
झंकार
जज़्बात
ज्योतिर्मय हो मानवता पथ
ज्ञानेश्वरी ( Dnyaneshwari )
ज्ञान का दीप जलाता हूँ
जीवन रस
जीवन चित्रण
जीवन के पहलू
जीवन अरण्य के अद्भुत फूल
जिज्ञासा
जिंदगी के रास्ते पर ...
जिंदगी के मायने
जिंदगी के दो पल: आज और कल
जिंदगी और प्रेम
जिंदगी उधार न लेना