इक कलम चली
OCTOBER BREEZE
मुंडेर पर बैठी कवितायेँ
टहनियां
झंकार
शब्दों की कड़ाही से
गीतिका
कविताओं के होंठ हिले
भेलपुरी
बयार
तिनके
पगडंडियां
दिल की अलमारी से
उदगार
जिज्ञासा
कविताओं की गुंडागर्दी
आहट अंतर्मन की